माघ मास के सबसे प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर स्नान-दान का क्रम गुरुवार मध्य रात्रि के बाद से शुरू हो गया। व्रत व स्नान दान की अमावस्या का मान शुक्रवार को आधी रात के बाद तक रहेगा। इस दिन अक्षय पुण्य की कामना के लिए लाखों श्रद्धालु व कल्पवासी यथाशक्ति अन्न, वस्त्र, द्रव्य व गोदान करेंगे। शास्त्रों के अनुसार सतयुग में जो पुण्य तप से, द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से मिलता है उतना पुण्य इस दिन प्रयाग में स्नान-दान से मिलता है।
स्नान, दान का शुभ मुहूर्त
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार अमावस्या तिथि 23 जनवरी गुरुवार को रात 1:41 बजे शुरू हो गयी है। इसका मान 24 जनवरी शुक्रवार को रात 2:06 बजे तक रहेगा। इस दिन स्नान-दान का मुहूर्त भोर से रात तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य अवध नारायण दुबे के अनुसार स्नान-दान का विशेष पुण्यकाल सुबह 4 बजे से सुबह 7 बजे तक रहेगा।
चतुष्ग्रहीय योग पुण्यकारी
पूर्वांचली के अनुसार इस बार मकर राशि में मौनी अमावस्या पर चतुष्ग्रहीय योग बन रहा है। शनि, सूर्य व बुध के साथ चंद्रमा शुक्रवार सुबह 7।18 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। शुक्र कुम्भ राशि में उच्च स्थिति में हैं। वृश्चिक में मंगल और देव गुरु वृहस्पति धनु राशि में रहेंगे। ग्रहों की इस शुभता से स्नान-दान का फल कई गुना बढ़ जाएगा।
मौन रहकर स्नान, दान फलदायी
प्राकृतिक व योग चिकित्सक डॉ। टीएन पांडेय के अनुसार मौन की उत्पत्ति मुनि शब्द से हुई है। इसलिए मौनी अमावस्या को मुनि जैसा आचरण करने का अवसर मिलता है। डॉ। राजेश मिश्र के अनुसार मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर भीड़ अधिक रहती है इसलिए मौन रहकर स्नान करने से सकुशल स्नान संपन्न होने का माध्यम भी है। इसलिए ऋषियों द्वारा मौन-व्रत रहने का विधान किया। इस दिन स्नान से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।