फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर विभिन्न नियोजन इकाइयों के माध्यम से जिलों में नियोजित शिक्षक स्वेच्छा से इस्तीफा देने के बाद भी सरकारी स्कूलों में सेवा दे रहे हैं। इतना ही नहीं ऐसे शिक्षक बकायदा वेतन तक तक ले रहे हैं। निगरानी ब्यूरो को हर जिले से ऐसी शिकायतें मिली हैं। जिसके बाद निगरानी ने शिक्षा विभाग को इससे अवगत करा दिया है।
तीन हजार शिक्षकों ने स्वेच्छा से दिया त्यागपत्र: फर्जी प्रमाणपत्र पर शिक्षकों के नियोजन का मामला पुराना है। 2015 से निगरानी फर्जी प्रमाणपत्र पर नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच कर रही है। जांच के इसी क्रम में निगरानी को चौंकाने वाली जानकारी मिली है। निगरानी सूत्रों की माने तो एमेनेस्टी योजना के तहत दो बार में करीब तीन हजार शिक्षकों ने नियोजन इकाइयों को अपने त्याग पत्र सौंपे।
एमेनेस्टी के तहत जिन शिक्षकों ने त्यागपत्र दिया है उनका त्यागपत्र स्वीकार किया जा चुका है। साथ ही आदेश दिया गया है कि इनसे भविष्य में कोई सेवा नहीं ली जाए। बावजूद अगर किसी जिले में स्वेच्छा से इस्तीफा देने वाले शिक्षक दोबारा नियोजित किए गए हैं तो पहले ऐसे शिक्षकों को हटाकर इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी। साथ ही इनसे वेतन मद में ली गई रकम की वसूली भी होगी। इस मामले में जिले के जो पदाधिकारी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
क्या है मामला
शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया 2006 में शुरू हुई थी। नियोजन प्रक्रिया के तहत 352812 शिक्षकों का नियोजन हुआ। 2014-15 के दौरान यह बात सामने आई कि बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाणपत्र वाले शिक्षकों को भी नियोजित कर लिया है। जिसके बाद कुमार प्रभाकर समेत कुछ अन्य ने पटना हाईकोर्ट में अपील की। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 2015 में प्रारंभ की। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने निगरानी ब्यूरो सच से पर्दा उठाने की जिम्मेदारी दी। इसके पहले कोर्ट ने एमेनेस्टी योजना के तहत नियोजित शिक्षकों को स्वेच्छा से त्यागपत्र देने का मौका भी दिया। जिसके तहत करीब तीन हजार शिक्षकों ने स्वेच्छा से इस्तीफा किया था।
जांच में मिलीं कई चौंकाने वाली जानकारियां
इसके बाद निगरानी ने इस मामले की जांच शुरू की। चार वर्ष से अधिक समय से चल रही जांच के क्रम में ब्यूरो को विभिन्न जिलों में शिक्षकों की ही ओर से ऐसी शिकायत दर्ज कराई गई है कि त्यागपत्र देने वाले शिक्षक दोबारा सेवा दे रहे हैं। निगरानी ब्यूरो को अमूमन हर जिले से ऐसी शिकायत मिली है। निगरानी हालांकि इस मामले को अपनी जांच के दायरे से बाहर मानती है बावजूद उसने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव समेत दूसरे आलाधिकारियों को इस गड़बड़ से अवगत करा दिया है।
दोबारा सरकारी स्कूलों में दे रहे सेवा
सूत्रों की माने तो त्यागपत्र देने वाले तीन हजार शिक्षकों में से करीब दो हजार से 22 सौ शिक्षक दोबारा नियोजित होने में सफल रहे हैं। ऐसे शिक्षक जिला शिक्षा और कार्यक्रम पदाधिकारियों की मदद से ऐसा करने में सफल रहे हैं। निगरानी सूत्रों की माने तो जिलों में तैनात निगरानी के अधिकारियों ने जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों को भी इस फर्जीवाड़े से अवगत कराया गया है, बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।