बिहार में इन दिनों सियासत काफी गर्म चल रही है। पक्ष-विपक्ष के बीच पलटवार तो अलग बात है लेकिन इस बार बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी के ही एक नेता ने उनके और पार्टी के स्टैंड पर सवाल खड़ा कर दिया है। दिल्ली में बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन के बाद जेडीयू नेता पवन वर्मा ने पार्टी के स्टैंड पर सवाल खड़ा कर दिया है।
बता दें कि बिहार के बाद दिल्ली पहला राज्य है जहां जहां जेडीयू, बीजेपी के साथ गठबंधन में आई है। इसको लेकर अब पवन वर्मा ने सीएम नीतीश कुमार से सवाल पूछते हुए कहा है कि उन्हें अपनी और पार्टी की विचारधारा का रुख साफ करना चाहिए।
पार्टी का स्टैंड क्लियर करें सीएम
जेडीयू नेता पवन वर्मा ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा है कि वे अपना स्टैंड क्लियर करें। पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए पवन वर्मा ने कहा कि जेडीयू और बीजेपी के संविधान में फर्क है। दोनों की अलग-अलग आइडियोलॉजी है। बिहार में गठबंधन था लेकिन अब दिल्ली में गठबंधन की क्या वजह है, उन्हें बताना चाहिए। अपने पत्र में उन्होंने साफ कहा है कि ये पहली बार है जब बिहार के बाहर जेडीयू, बीजेपी के साथ गठबंधन कर रही है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि कई मौकों पर सीएम ने बीजेपी-आरएसएस को लेकर आपत्ति भी जताई है। 2015 में वो भारत को आरएसएस मुक्त बनाने की भी बात कर रहे थे।
उन्होंने अपने पत्र में सीएम नीतीश कुमार के साथ अपने निजी मुलाकात की भी चर्चा की है। नीतीश कुमार को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा है कि हालांकि आपने 2017 में अपना ट्रैक बदल लिया था और बीजेपी के साथ चले गए थे। लेकिन आपने मुझसे निजी मुलाकात में खुद ये माना है कि आप बीजेपी नेतृत्व से खुद को अपमानित महसूस करते हैं।
बीजेपी को क्यों दे रहे हैं तरजीह
पवन वर्मा ने साफ-साफ कहा है कि धारा 370 पर पार्टी ने समर्थन किया। उस समय भी हमने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात की थी। साथ ही नागरिकता संशोधन कानून के समय में भी हमने बात किया था। अकाली दल भी बीजेपी की पुरानी सहयोगी है। लेकिन, उन्होंने भी अब अलग राह ले ली। ऐसे में जेडीयू अपना रुख बताए। पवन वर्मा ने कहा है कि निश्चित तौर पर अब समय आ गया है कि जनता दल यूनाइटेड अपना स्टैंड क्लियर करें। सीएम नीतीश को बताना चाहिए कि वो बीजेपी को क्यों तरजीह दे रहे हैं।
बता दें कि दिल्ली विधानसभा में जेडीयू और बीजेपी ने साथ लड़ने का फैसला किया है। स्टार प्रचारकों की सूची में प्रशांत किशोर और पवन वर्मा के नाम नहीं है। इस पर अब सवाल उठने लगे हैं।