सियाचिन, यहां माइनस 30 डिग्री टेम्परेचर में भी भारतीय सेना देश की सुरक्षा में डटी रहती है। पहाड़ों की ऊंचाई हो या फिर बर्फ की आंधी, थरीला रास्ता हो या फिर कोई तूफान, हर वक्त भारतीय सेना दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देती है।
भारतीय सेना मुश्किलों में सरहद की सुरक्षा के लिए मशहूर है। हमारे जवान कई इंटरनेशनल बॉर्डर भारी ठंड और बर्फबारी के बीच माइनस 30 डिग्री से ज्यादा टेम्परेचर में भी मुस्तैद रहते हैं।
सियाचिन में एक बार तापमान माइनस 60 डिग्री तक चला गया था, बावजूद भारतीय सेना के जवान वहां ड्यूटी करते रहे। यह पूर्वी काराकोरम रेंज में 5,753 मीटर की ऊंचाई पर जबकि, समुंद्र तल से 18 हजार 875 फीट की ऊंचाई पर है। यहां सर्दियों में औसत बर्फबारी 1000 सेमी से अधिक है और तापमान करीब माइनस 50 डिग्री तक चला जाता है।
यहां आर्मी के बेस कैंप तक पहुंचने का रास्ता लेह से शुरू होता है। ये रास्ता आसान नहीं है। लेह से सियाचिन बेस कैंप का रास्ता 230 किलोमीटर लंबा है, जो कि दुनिया के सबसे ऊंचे सड़क मार्ग खारदुंगला से होकर गुजरता है। सियाचिन की 45 से ज्यादा ऊंची चोटियों की निगरानी भारतीय सेना करती है। यहां ऑक्सीजन की भारी कमी होती है। फिर भी बर्फीले और जानलेवा हालात में सेना यहां मुस्तैदी से तैनात रहती है।
यह भारत के सबसे ठंडे इलाकों में से है और सर्दियों में यहां तापमान माइनस 45 डिग्री तक गिर जाता है। यहां माइनस 60 डिग्री तक तापमान मापा जा चुका है। जम्मू-कश्मीर का उड़ी सेक्टर बर्फबारी के लिए मशहूर यहां जीरो डिग्री से कम तापमान (जो माइनस 20 डिग्री तक जा सकता है) में सेना के जवान बॉर्डर की सुरक्षा करते हैं। बर्फबारी के दौरान यहां पहुंचना एक मुश्किल चुनौती है। अगर बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हों तो यहां पहुंचने में आपको महीने भर भी लग सकते हैं।