पाकिस्तानी कैनेडियन तारिक फतेह ने पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब अख्तर के ट्वीट का समर्थन करते हुए कहा कि इसमें कोई शक नहीं पाकिस्तान में हिंदुओं की बहुत बुरी हालत है। पाकिस्तान में हिंदुओं को अछूत समझा जाता है। अगर पाकिस्तान से भागकर हिंदू भारत नहीं आएगा तो कहां जाएगा और अगर भारत सरकार उन्हें नागरिकता देती है तो कौन सा गलत कर रही है। भारत के मुसलमानों ने डिक्टेटरशिप अभी देखी नहीं है।
उन्होंने कहा कि जामिया मिलिया इस्लामिया जैसी संस्था को बंद कर देना चाहिए। तभी सही मायने में सेकुलरिज्म होगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब अख्तर ने हाल ही में एक ट्वीट किया था। ट्वीट में उन्होंने पाकिस्तान के तेज गेंदबाज दानिश कनेरिया का जिक्र किया। जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दानिश कनेरिया के हिंदू होने की वजह से उसके साथ गलत व्यवहार होता था। कई पाकिस्तानी मुस्लिम क्रिकेटर उसके साथ बैठकर खाना खाना भी पसंद नहीं करते थे और ऐसे में अगर कोई पाकिस्तान में रह रहा हिंदू भारत आता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है।
इसी विषय पर बात करते हुए कनाडा में रह रहे पाकिस्तानी नागरिक तारिक फतेह ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की। तारिक फतेह ने कहा पाकिस्तान के लिए कोई नई बात नहीं है, हिंदुओं के साथ ऐसा ही होता है। पाकिस्तान में अगर कोई हिंदू घर में आ जाता है तो उसके लिए प्लेट अलग होती है। पाकिस्तान में मसीह समाज के लोगों के साथ भी हाथ नहीं मिलाते। वहां बहुत बुरी हालत है। उन्होंने कहा कि कराची जैसे शहरों में हिंदुओं को अछूत माना जाता है। ये अलग बात है कि सिंध के अंदर इतनी बुरी हालत नहीं है। तारिक फतेह ने शोएब अख्तर की तारीफ करते हुए कहा कि शोएब अख्तर ने बड़ी बहादुरी की बात कही है, उसे कहना भी चाहिए। दानिश कनेरिया कोई पहला नॉन मुस्लिम पाकिस्तानी क्रिकेटर नहीं है, जिसके साथ बदतमीजी हुई हो।
भारत में सिटीजनशिप अमेंडमेंट कानून को लेकर बात करते हुए तारिक फतेह ने कहा, ” सिटीजनशिप अमेंडमेंट कानून को लेकर जो हल्ला मचा हुआ है, मुझे समझ में नहीं आता। जो हिंदू पाकिस्तान या दूसरे देशों में हैं उनके साथ जो व्यवहार हो रहा है, वह हिंदुस्तान में पनाह लेने नहीं आएंगे, तो कहां जाएंगे। जो आते हैं वह पाकिस्तान के सताए ही हुए लोग होते हैं।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में केवल रिलीजियस डिस्क्रिमिनेशन नहीं है, बल्कि रेशनल डिस्क्रिमिनेशन भी है। भारत में जो लोग आए हैं वह 2015 से पहले ही आये हैं। पाकिस्तान के पहला लॉ मिनिस्टर हिंदू ही थे, वह भाग कर आ गए थे, क्योंकि वह दलित थे, बंगाल से थे। उनके साथ कोई कैबिनेट में बैठना ही नहीं चाहता था। इसलिए 2015 से पहले जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भाग कर आया उसे हिंदूस्तान में जगह नहीं मिलेगी तो कहां मिलेगी।
उन्होंने थाईलैंड की जेलों में बंद कृष्ण कमेटी का भी जिक्र किया और कहा कि करीब 20,000 से ज्यादा क्रिश्चियन कम्युनिटी के लोग थाईलैंड की जेलों में बंद है। उनकी बेटियों को चीन भेजा जा रहा है। उनके साथ बड़ा बुरा बर्ताव हो रहा है। वह लोग मुझे फोन करके मुझसे मदद मांगते हैं, लेकिन उनके लिए दूसरे देश के लोग नहीं खड़े होते। अब वह भारत नहीं आएंगे तो कहां जाएंगे।
जामिया मिलिया इस्लामिया जैसी संस्थाओं को कर देना चाहिए बंद
तारिक फतेह ने कहा अगर भारत के मुसलमानों को सेकुलरिज्म की इतनी फिक्र है तो दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया क्यों है, उसके ऊपर अल्लाह हू अकबर क्यों लगाया गया है। चाहते आप सेकुलरिज्म हैं लेकिन यूनिवर्सिटी का नाम जामिया मिलिया इस्लामिया रखा है। 50 परसेंट रिजर्वेशन उसमें मुसलमानों के लिए है। जो प्रोटेस्ट शुरू हुआ वह जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ और उसके बाद उसमें सारे अर्बन नक्सल जुड़ गए। यही सेकुलरिज्म को बचाना है तो जामिया जैसी संस्था को बंद कर देना चाहिए। आजादी अपने आप मिल जाएगी। उन्होंने कहा की किसी हिंदू को भारत में पनाह मिल रही है, हिंदुस्तान में नहीं आएंगे तो क्या इटली जाएगें। आजादी का मतलब है कि आपके जहन में किसी और की आइडियोलॉजी का कब्जा ना हो।
संघ की विचारधारा में गलत क्या है- तारिक फतेह
संघ की विचारधारा पर बोलते हुए तारिक फतेह ने कहा कि संघ की विचारधारा में गलत क्या है। अगर सरकार संघ समर्थित है तो उनकी विचारधारा भी होगी। ये तो नहीं हो सकता कि जीतेगी बीजेपी और मेनिफेस्टो सीपीएम का लागू करेगी। डेमोक्रेसी में यही होता है। इंग्लैंड में लेबर पार्टी जीतेगी तो अपना लेबर पार्टी का मेनिफेस्टो ही लागू करेगी। बीजेपी ने कहा हम जीतेंगे तो ट्रिपल तलाक हटाएंगे, हलाला खत्म करेंगे, 370 खत्म करेंगे। यह कहकर बीजेपी सत्ता में आई। लोगों ने वोट दिया। अगर किसी दल को इसमें बदलाव करना है तो अगले चुनाव में मेजॉरिटी लाकर कानून बदल दीजिएगा। उन्होंने कहा शाह बानो केस में कांग्रेस ने तो संविधान ही बदल दिया था। शायद हिंदुस्तान के लोगों ने डिक्टेटरशिप देखी ही नहीं, इसलिए उन्हे पता नहीं है डिक्टेटरशिप क्या होती है। चीन में सरकार ने कुरान बदल दिया, लेकिन क्या किसी मुसलमान ने वहां प्रोटेस्ट किया?