मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते हैं कि इंटरनेट पर अश्लील वेबसाइट बैन होनी चाहिए। उन्होंने गोपालगंज में कहा है कि वे बिहार में इसे लेकर कानून बनाने की सोच रहे हैं और केंद्र सरकार को इस संबंध में चिट्ठी भी लिखेंगे। अब इससे पूरे देश में एक नई बहस छिड़ गई है।
इंटरनेट के सस्ता होने के बाद वाकई में अश्लील सामग्री ज्यादा देखी जा रही है।जागरण में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक टेलीकॉम उद्योग से जुड़े लोगों के अनुसार भारत में कुल इंटरनेट देखने में 70 फीसद हिस्सा सिर्फ पोर्नोग्राफी देखने में किया जाता है। इस बात की पुष्टि कुछ पोर्न वेबसाइटें भी करती हैं। पोर्न हब के अनुसार भारत, अमेरिका और ब्रिटेन के बाद उसका तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। 2013 में 39 % ट्रैफिक मोबाइल फोन से आता था।
साल 2017 में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 86 फीसद हो गई है। 2019 तक यह प्रतिशत 95 % होने का अनुमान है। यह टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा सस्ता डाटा दिए जाने के बाद इस प्रवृत्ति में बढ़ोतरी की बात की तस्दीक करता है। सरकार सेवाओं के डिजिटलीकरण पर जोर दे रही है। पेपरलेस दफ्तरों और सरकारी कामकाज की परिकल्पना कर रही है। उसकी सोच रही है कि इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और अपने रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी सुविधाएं लोग आसानी से हासिल कर पाएंगें।
इस क्रम में वह टेलीकॉम कंपनियों पर दबाव बनाती है कि लोगों को सस्ता इंटरनेट सुलभ हो । सरकार खुद भी जगह जगह मुफ्त वाई-फाई और ब्रॉडबैंड लगाकर अपनी मंशा स्पष्ट करना चाह रही है, लेकिन पटना जंक्शन पर गूगल के मुफ्त वाईफाई का क्या उपयोग हुआ यह सब लोग जानते हैं। अब जब टेलीकॉम कंपनियां लगातार घाटे में चल रही है और अपने सस्ते प्लान खत्म करने की दिशा में कदम उठा चुकी है। ऐसे में मोबाइल इंटरनेट के महंगा करने पर भी विचार चल रहा है। जिसके बाद सम्भव है कि अश्लील कंटेंट लोग कम देखें।