गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई अब अल्फाबेट के सीईओ हो जाएंगे। लैरी पेज अल्फाबेट के सीईओ का ओहदा संभाल रहे थे, जबकि सर्गेई ब्रिन इस कंपनी के प्रेसिडेंट थे। 03 दिसंबर 2019 को खबर आई कि ये दोनों अपने पद से हट रहे हैं। लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ही वो शख्स हैं जिन्होंने 1997 में गूगल की शुरुआत की थी।
गूगल और अल्फाबेट का कनेक्शन क्या है?
दरअसल, दोनों कंपनियां एक ही सिक्के के दो पहलूओं की तरह हैं। गूगल का काम लगातार फैलता जा रहा था। सब्सिडयरी कंपनियों का काम भी गूगल को ही देखना पड़ता था। ऐसे में काम थोड़ा बिखरा-बिखरा लगने लगा था। तब अल्फाबेट का आइडिया आया। अम्ब्रेला कंपनी के तौर पर। जिसकी छत्रछाया में बाकी कंपनियां फलें-फूलें। अल्फाबेट ना तो कोई प्रोडक्ट बनाती है और ना ही कोई सर्विस प्रोवाइड करती है।
अल्फाबेट की स्थापना 2015 में हुई। उस वक्त लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने गूगल में अपना पद छोड़कर अल्फाबेट का काम संभाल लिया था। तब सुंदर पिचाई को गूगल के सीईओ का पद दिया गया था। अब जबकि लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने अल्फाबेट का काम छोड़ने का इरादा कर लिया है, सुंदर पिचाई पहली पसंद के तौर पर सामने आए हैं।
अल्फाबेट के बनने से क्या हुआ?
शेयर बाजार में गूगल के शेयर बदलकर अल्फाबेट के हो गए। गूगल अल्फाबेट की सबसे बड़ी कंपनी बन गई। बाकी सब्सिडियरी कंपनियां Calico, DeepMind, GV, CapitalG, X, Google Fiber, Jigsaw, Makani, Sidewalk Labs, Verily, Waymo, Wing और Loon, गूगल की बजाय अल्फाबेट को रिपोर्ट करने लगीं।
गूगल का मेन काम इंटरनेट सर्च वाली सेवा चलाना हो गया।
सुंदर पिचाई कौन हैं?
चेन्नई में पैदा हुए सुंदर पिचाई ने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनयरिंग की पढ़ाई की। उसके बाद अमेरिका चले गए। वहां स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में खुद को तराशा। 2004 में उन्होंने गूगल में नौकरी पकड़ ली। 2015 में गूगल के सीईओ बने।
अल्फाबेट पर एक नजर
गूगल के फाउंडर लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने 2015 में गूगल को रिस्ट्रक्चर कर अल्फाबेट बनाई। गूगल के शेयर अल्फाबेट में बदल गए। अमेरिकी शेयर बाजार में कंपनी का नाम बदलकर अल्फाबेट हो गया। गूगल लाइफ साइंस, नेस्ट लैब्स, गूगल फाइबर, गूगल एक्स, गूगल वेंचर, गूगल कैपिटल और वेयमो जैसी कंपनियां अल्फाबेट की सब्सिडरी हैं।