पिछले छह साल में मेक इन इंडिया के तहत कोई बड़ा डिफेंस प्रॉजेक्ट शुरू नहीं हो पाया है। नई पीढ़ी की पनडुब्बी, माइनस्वीपर, लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर, इन्फेंटरी कॉम्बैट वीइकल, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और फाइटर जेट्स के प्रॉजेक्ट लटके हुए हैं।
लंबे समय से लंबित ये प्रॉजेक्ट्स 3.5 लाख करोड़ रुपये के हैं। ये प्रॉजेक्ट्स या तो अटक गए हैं या फिर अलग-अलग स्टेज पर घूम रहे हैं। हालांकि, रूस के साथ मिलकर यूपी की कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में 7,50,000 एके 203 राइफल बनाने का अपेक्षाकृत नया प्रॉजेक्ट सबसे पहले शुरू हो सकता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अक्टूबर 2017 में बताया था कि छह बड़े ‘मेक इन इंडिया’ प्रॉजेक्ट्स नौकरशाही की अड़चनों, लंबी-चौड़ी प्रक्रिया, कॉमर्शल-टेक्निकल खटपट, अपेक्षित राजनीतिक जोर की कमी की वजह से अटके हुए हैं। दो साल बाद भी सात प्रॉजेक्ट्स के लिए कहानी वही है। भारत स्वदेशी अडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रॉजेक्ट को ध्यान में रखते हुए रूस के साथ फिफ्थ जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट प्रॉजेक्ट को रद्द कर चुका है।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि स्वदेशी डिफेंस प्रॉडक्शन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें डिफेंस प्रक्योरमेंट प्रसीजर (DPP) और एफडीआई पॉलिसी में बदलाव शामिल है। ‘मेक’ प्रसीजर और ऑफसेट गाइडलाइन्स को सरल किया गया है। स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप (SP) मॉडल का नोटिफिकेशन जारी किया गया है और तमिलनाडु व यूपी में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर स्थापित करने का फैसला लिया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘स्वदेशी रक्षा उत्पादन’ को प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन जमीन पर काम शुरू होने में कुछ समय लगेगा। कुछ प्रॉजेक्ट्स शुरू होने वाले हैं। एके-203 राइफल्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट अगले साल की शुरुआत में साइन हो सकता है।’
उन्होंने कहा, ‘इसी तरह 56 C-295 एयरक्राफ्ट बनाने के लिए टाटा एयरबस प्रॉजेक्ट के लिए कीमत पर बातचीत में काफी समय लग रहा है, क्योंकि इसमें सिंगल वेंडर और अब यह कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी से क्लियरेंस के लिए जाएगा।’
हालांकि, दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक होने की स्थिति से हटने के लिए भारत को अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। कई जानकार कहते हैं कि ग्लोबल कंपनियों के साथ मिलकर भारतीय कंपनियों द्वारा नई पीढ़ी के हथियार उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिस स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप की बात की जा रही है, उसने प्रॉजेक्ट्स में देरी ही की है।