झारखंड (Jharkhand) में दस हजार लोगों के खिलाफ राजद्रोह (Sedition) का केस लगा दिया गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की राजधानी रांची से महज एक घण्टे की दूरी पर खूंटी जिला में जून 2017 से जुलाई 2018 के बीच पुलिस द्वारा दायर 19 एफआइआर में 11,200 लोगों पर सामाजिक सौहार्द भंग करने के आरोप लगाए गए हैं। वहीं 14 केसों 10,000 से ज्यादा लोगों पर आईपीसी की धारा 124A के तहत राजद्रोह का केस दर्ज हैं।
बता दें कि एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड के खूंटी (Khunti) जिले में जून 2017 से जुलाई 2018 के बीच 10 हजार से ज्यादा लोगों पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया। ये मामला खूंटी जिले के पत्थलगढ़ी मूवमेंट से जुड़ा है। ये मूवमेंट 2017 में यहां पर शुरू हुआ था। अब यहां के गांवों में रहने वाले लोग विधानसभा चुनावों के बहिष्कार की बात कर रहे हैं। आंदोलन की शुरुआत 2017 में हुई। पत्थलगढ़ी, आदिवासियों की पुरानी परंपरा है। पहले आदिवासी इसका उपयोग अवांछित लोगों को गांव के अंदर घुसने से रोकने के लिए किया करते थे लेकिन बीते कुछ सालों से इसमें काफी तेजी आई है। इसके तहत से गांव का सीमांकन किया जाता है और पत्थर पर लिखकर बाहरी लोगों के प्रवेश को वर्जित बताया जाता है। इस क्षेत्र में आदिवासियों को भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत विशेष स्वायत्तता दी गई है। यहां पर चले एक मूवमेंट के बाद पुलिस ने 10 हजार से ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए।
झारखंड में विधानसभा चुनाव 5 चरणों में होने वाले हैं। पहला चरण 30 नवंबर को है। यहां पर बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस, आरजेडी और जेएमएम के महागठबंधन से है। बीजेपी का आजसू से गठबंधन टूट गया है। वहीं कभी बीजेपी में रहे पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी इस बार अलग चुनाव लड़ रहे हैं। जेडीयू और एलजेपी भी झारखंड में अलग से मैदान में हैं। इन चुनावों में बीजेपी के सामने अपनी सरकार बचाने की चुनौती है।
इन अनाम आदिवासियों के खिलाफ़ दर्ज केस को आदिवासी न्याय मंच नामक संगठन की ओर से अधिवक्ता सुनील विश्वकर्मा ने चुनौती दी है। उन्होंने कोर्ट से याचिका में आग्रह किया था कि ये सारे मामले किसी जांच एजेंसी कु सुपुर्द किए जाएं।
हाइकोर्ट ने इस मामले को स्वीकार करते हुए झारखण्ड सरकार और राज्य की पुलिस को नोटिस भेजा है। मामले में पहली हियरिंग लंबित है।