उत्तर प्रदेश में लगातार पत्रकारों पर कार्यवाही की जा रही है। उनके खिलाफ लगातार दर्ज हो रहे मुकदमों की कड़ी में एक और मामला जुड़ गया है। दरअसल, नोएडा के खोड़ा लेबर चौक के पास चेकिंग के दौरान पुलिस और पब्लिक की झड़प का मोबाइल से वीडियो बनाना एक पत्रकार को बेहद भारी पड़ गया। वीडियो बनाने की सजा उन्हें थाने में बंद रहकर काटनी पड़ी।
पुलिस की गुंडागर्दी की मोबाइल से वीडियो बना रहे पत्रकार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पिटाई करने के बाद उसे रात भर थाने की हवालात में रखा गया। गुरुवार सुबह जब मामले ने तूल पकड़ा तो दोपहर बाद गिरफ्तार लोगों की सूची से उसका नाम काटकर सूरजपुर से छोड़ दिया गया।
उत्तर प्रदेश के जिला बलिया निवासी दिनेश कुमार सेक्टर 59 में एक हिंदी न्यूज़ पोर्टल में बतौर कंटेंट क्रिएटर का काम करते हैं। बुधवार शाम करीब 7 बजे ड्यूटी खत्म होने के बाद ऑटो पकड़ कर खोड़ा लेबर चौक पहुंचे थे। तभी उन्होंने देखा कि वाहन चेकिंग को लेकर यहां पर पुलिस पब्लिक में झड़प हो रही थी।
थाना सेक्टर 58 से आए पुलिसकर्मी कुछ लोगों को लाठी डंडे से पीट रहे थे। दिनेश कुमार ने अपना फर्ज समझते हुए अपना मोबाइल निकाल कर घटना की वीडियो बनाना शुरू किया। तभी कुछ पुलिसकर्मियों ने पत्रकार दिनेश कुमार को वीडियो बनाते देखा और उनका फोन छीन लिया, साथ ही उनके साथ बदतमीजी की और वहीं पर पिटाई कर पीसीआर में बिठा लिया गया।
इसके बाद पकड़े गए जीतू, गोलू उर्फ संदीप, रविंद्र कुमार कनौजिया, रॉकी उर्फ अविनाश के साथ दिनेश कुमार को भी गिरफ्तार करके थाना सेक्टर की हवालात में बंद कर दिया। हालांकि जब आला अधिकारियों को इस मामले का पता चला तो उन्होंने आनन-फानन में पत्रकार को हवालात से बाहर कराया।
अब सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या पत्रकारों को अब पुलिस के अनुसार काम करना पड़ेगा?
क्या पत्रकारों के पास अब आजादी नहीं रही है? क्या मीडिया अब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ नहीं रहा है?