अयोध्या की विवादित ज़मीन रामलला को जाएगी। मुस्लिम पक्ष को कहीं और पांच एकड़ ज़मीन दी जाएगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरह इस बार ज़मीन का बंटवारा नहीं किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की बेंच ने आज यानी 9 नवंबर 2019 को अपना फैसला सुना दिया। पांचों जजों ने सर्वसम्मति से ये फैसला लिया कि विवादित ज़मीन रामलला को जाएगी। सुन्नी वक़्फ बोर्ड के वकील ज़फरयाब जिलानी ने कहा है कि मुस्लिम पक्ष इस फैसले से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है।
अदालत ने कहा कि ज़मीन विवाद का फैसला कानूनी आधार पर लिया गया। कोर्ट ने कहा कि हिंदू अयोध्या को राम के जन्म का स्थान मानते हैं। अयोध्या राम की जन्मभूमि है, इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आस्था और विश्वास पर भी कोई विवाद नहीं है। साथ ही ये भी कहा कि आस्था और विश्वास पर मालिकाना हक़ नहीं बनता है। इस फैसले में 2003 में जमा की गई ASI की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि ASI ने मुख्य गुंबद के नीचे हिंदू मंदिर होने की बात कही। मगर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने की बात नहीं कही गई। ये भी कहा गया कि 12वीं और 16वीं सदी के बीच विवादित ज़मीन पर क्या था, इसके सबूत नहीं हैं। हालांकि अदालत ने ये भी कहा कि यात्रियों के वृत्तांत और पुरातात्विक साक्ष्य हिंदू पक्ष के साथ जाते हैं।