लोग कहते हैं कि भारतीय पत्रकारिता विश्वसनीयता के सबसे गहरे संकट में है। खासकर हिंदी पत्रकारिता में न्यूज सेंस और न्यूसेंस में अंतर खत्म सा हो गया है। आज हवाबाजी ही पत्रकारिता हो गयी है। अखबार से टीवी तक हर जगह भविष्य में घटनेवाली घटनाओं को समाचार बनाया जा रहा है। समाचार से वर्तमान गायब है। हर सूचना हवा में है और हर खबर हवाबाजी है। ऐसे में हमारा साफ तौर पर कहना है कि अगर हवाबाजी ही पत्रकारिता है, तो हम ‘हवाबाज’ हैं।
आज जब इतने सारे अखबार, चैनल और वेवसाइट मौजूद हैं, तो फिर इस नये मंच की आवश्याकता क्यों। यह सवाल केवल आपके नहीं हमारे मन भी रही है। और इसी सवाल का उत्तर तलाशते वक्त हमें इस मंच का नाम मिला ‘हवाबाज’।
हम खबरों को चलायेंगे नहीं, बल्कि उसे जहां- तहां से उडायेंगे। उडती हुई खबरें भी हम आप तक पहुंचायेंगे। हम न ही कुछ छुपायेंगे और न ही आपको उकसायेंगे। पाठकों को खबरों से दूर रखना दगाबाजी है। हमारा एजेंडा केवल खबरों को पाठक तक पहुंचाने की जिम्मेदारी है और हम पाठकों से कोई दगाबाजी नहीं करेंगे, क्यों कि हम दगाबाज नहीं, ‘हवाबाज’ हैं।
हम भूत, भविष्य और वर्तमान की बात करेंगे। हम हर वो बात करेंगे, जो आपके, मेरे या उनके जीवन से मतलब रखता है। हम धर्म की बात करेंगे, लेकिन केवल धर्म की बात नहीं करेंगे। हम खेल से लेकर विज्ञान तक और देस से लेकर विदेश तक की बातें आप के सामने रखेंगे। हम बेरोजगार से कारोबारी तक की बात करेंगे। हम वाम से दक्षिण तक की राय रखेंगे। हम पूरब की संस्कृति भी बतायेंगे और पश्चिम के संस्कार से भी आपको रू-ब-रू करायेंगे। हमारा एक कोना बच्चों, महिलाओं और वृद्धों के लिए भी होगा।
हर खबर तक हमारी पहुंच होगी, ऐसा हमारा कोई दावा नहीं है। हर खबर विश्वसनीय होगी, ऐसा भी कोई दावा हम नहीं करेंगे। हम संवाद को इधर से उधर करनेवाले लोग हैं। हम खबरों के वाहक हैं। हम बस खबरों के वाहक रहेंगे। हम पक्ष और विपक्ष दोनों की बात करेंगे। हमारा अपना कोई पक्ष नहीं होगा। हमारे घर में कई कोने मिलेंगे। उन जगहों पर तरह तरह की सूचनाएं मिलेगी। कुछ आपके तो कुछ उनके काम की होगी। हर खबर आपके लिए हो, यह भी जरुरी नहीं है। राजनीति से कला तक, विज्ञान से संस्कृति तक हमें जो जहां, जैसे मिलेगा, आप तक पहुंचायेंगे। कुछ छूट न जाये इसका ख्याल रखेंगे।
हम केवल और केवल संसद के प्रति उत्तरदायी होंगे। हमारा धर्म संविधान होगा, जो सबको बराबरी का अधिकार देता है। हमारी भाषा आपकी भाषा होगी। हम खबरों को उसी भाषा में आप तक लायेंगे, जो बोलचाल की भाषा है। साहित्य की भाषा समाचार की भाषा नहीं होगी। हम नागरी और रोमन दोनों लिपि का प्रयोग करेंगे।
हम अविश्वसनीयता से अपनी यात्रा शुरु कर रहे हैं। हम धीरे-धीरे विश्वसनीयता की ओर बढने का प्रयास करेंगे। आज हमारी विश्वसनीयता संदिग्ध है, लेकिन कल शायद नहीं रहे। खबरों तक पहुंचने का हमारा जरिया कोई हो सकता है। खबरों को देखने का हमारा नजरिया कुछ अलग होगा। हम खबरों के प्रति संजीदा भी रहेंगे और आपका मनोरजन भी करेंगे। हम पत्रकारिता की भीड में भी आपको दिखेंगे, कुछ अलग अंदाज में। हम पाठकों को एक समय में एक ही समाचार पढाने का वचन देते हैं…