बिहार में शराबबंदी है । लेकिन शराब खुलेआम बिक रही है । लोग मर भी रहे हैं । सरकार रोज नियमों में सख्ती का रोना रो रही है । लेकिन जनता का इससे कुछ भी भला नहीं हो पा रहा है । लोग पहले की अपेक्षा और अधिक पी रहे हैं । सरकार का राजस्व जीरो हैं और माफिया दिन प्रतिदिन मालामाल हो रहे हैं ।
इधर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव कुमार सिंह उर्फ ललन सिंह ने जो बयान दिया है वो गैरजिम्मेदाराना ही नहीं बचकाना भी है । उन्होनें शराबबंदी कानून के बावजूद जहरीली शराब से लोगों की मौत के सवाल पर कहा – ह’त्या के खिलाफ फांसी की सजा होने के बावजूद भी ह’त्याएं होती हैं। लेकिन बिहार में अपराध करने वाला बचेगा नहीं । कानून का उल्लंघन करिएगा तो सजा होगी ही। कानून में जो प्रावधान है वह लागू होगा। अगर कानून में फांसी की सजा है तो फांसी होगी। शनिवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजद नेता धर्मेंद्र कुमार चंद्रवंशी को जदयू की सदस्यता दिलवाने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। कहा-बिहार में शराबबंदी है और आगे भी लागू रहेगी। लेकिन जनता उनके बातों से असहमत है । जनता के अनुसार इस शराबबंदी के इस कानून से गरीब लोगों पर तो जमकर अत्याचार हो रहा है वहीं माफिया पुलिस के साथ मिलकर मौज कर रही है ।
शराबबंदी कानून की समीक्षा होनी चाहिए
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा है कि शराबबंदी कानून की समीक्षा होनी चाहिए। पांच-छह साल हो गए इस कानून के लागू हुए, ऐसे में इसकी मौजूदा स्थिति की समीक्षा आवश्यक है। यह कानून अच्छे मन और अच्छी भावना से लायी गयी थी। इससे बेहतर कानून तो हो ही नहीं सकता। महिलाओं के अनुरोध पर कानून लाया गया। कानून शराबबंदी रोकने में बेहद प्रभावी रही और इसने सामाजिक जीवन को भी बदला। खासकर महिलाओं के जीवन में तो क्रांतिकारी बदलाव आया। लेकिन अब समय आ गया है जब इसके कार्यान्वयन को लेकर वर्तमान स्थिति की समीक्षा होनी चाहिए।
असल में जनता को शराबंदी नहीं चाहिये । उन्हे व्यवस्थित तरीके से शराब की बिक्री चाहिये । ताकि यह गंध जो नकली के शराब के नाम पर मची है उसे दूर किया जा सके ।