मैथिली, गांधी और चंपारण आंदोलन में अनुनाश्रय संबंध है। गांधी ने चंपारण को राजा जनक की धरती कहा था। ये बातें प्रभा खेतान फाउंडेशन, मसि इंक और श्री सीमेंट की ओर से होने वाली मासिक कार्यक्रम आखर में इतिहासकार, साहित्यकार भैरव लाल दास ने कही।
कार्यक्रम के शुरुआत में ही डॉ कैलाश कुमार मिश्र मैथिली इतिहासकार और शोधार्थी ने भैरव लाल दास से गांधी और उनके द्वारा लिखी पुस्तक और जीवन के बारे में पूछा जिसमें उन्होंने कहा कि गांधी के तीसरे गुरु चंपारण के राजकुमार शुल्क थे। वही उन्होंने पंजी के विषय में पूछा इसके उत्तर में उन्होंने कहा कि पंजी पर भारत ही नहीं आस्ट्रेलिया और अन्यत्र देशों में भी शोध हुआ है, पंजी व्यवस्था इसलिए जरूरी है कि ये समाज को व्यवस्थित रूप में रखती है और सात पुश्तों के अंतर को वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाय तो इससे जेनेटिक समस्या हद तक कम होती है, पंजी व्यवस्था किसी एक ही जाति में नहीं बल्कि सभी जातियों में अनिवार्य रूप से हो और जिन जातियों में अभी तक पंजी शुरू नहीं हुई है उनमें अभी से से यह कार्य शुरू हो। पंजी को घृणा के दृष्टि से नहीं देखकर इसके सामाजिक प्रभाव पर विचार करनी चाहिए। इसी क्रम में भैरव लाल दास ने कहा कि हम गांधी और चंपारण आंदोलन पर तो खूब बात करते हैं पर हमें थारू समाज पर भी बहुत काम करने की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम को आखर परिवार के हिस्सा श्याम धरिहरे और प्रणव नार्मदेय के स्मृति में समर्पित किया गया। सेंकेड वेब के बाद यह आखर का पहला वर्चुअल आयोजन है।
इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन मसि इंक की संस्थापक और निदेशक आराधना प्रधान ने किया।
इस कार्यक्रम में अवनींद्र कुमार झा, नारायण जी, नवल श्री पंकज, मुन्ना कुमार पांडेय, मृदुला प्रधान और आदि लोग उपस्थित थे।