बिहार के छोटे बिजलीघर बंद होंगे। मुजफ्फरपुर के कांटी बिजलीघर से इसकी शुरुआत हो रही है। 110 मेगावाट की दो इकाई को एनटीपीसी जल्द बंद करने वाला है। इसके बाद बरौनी की 110 मेगावाट की दो पुरानी इकाई को भी बंद करने की तैयारी है। बिजलीघर बंद करने के पीछे उत्पादन लागत अधिक होने के साथ ही इसका 25 साल से अधिक पुराना होना बताया जा रहा है।
कांटी के बाद बरौनी की मरम्मत की गई दोनों इकाइयों को भी बंद करने की तैयारी है। बरौनी में भी 110 मेगावाट की दो इकाई को मरम्मत कर चलाया जा रहा है। बिजली कंपनी जल्द बरौनी से भी बिजली लेने के करार को समाप्त करने वाला है। बरौनी में 110 मेगावाट की दो इकाइयों का आधुनिकीकरण 581.20 करोड़ की लागत से किया गया है। 2015 के बाद से यहां से उत्पादन शुरू है। यह यूनिट भी एनटीपीसी के हवाले ही है।
वर्ष 1985 में बना था कांटी बिजलीघर
कांटी बिजलीघर का निर्माण तत्कालीन सांसद जॉर्ज फर्नांडिस के प्रयास से हुआ था। 50 मेगावाट की दोनों इकाई की यह बिजलीघर अधिकतर बंद ही रहती थी। साल 2002-03 में यहां बिजली उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया। वर्ष 2005-06 में मुख्यमंत्री नीतीश सरकार ने कांटी थर्मल पावर को 472.80 करोड़ से मरम्मत करने का निर्णय लिया। नवंबर 2013 में कांटी की पहली यूनिट शुरू हुई। इसके अगले साल दूसरी यूनिट से उत्पादन शुरू हुआ। तब बिहार को 220 मेगावाट बिजली मिल रही थी।