बिहार की सियासत (Bihar Politics) में जातिगत जनगणना (Caste Census) का मुद्दा लगातार चर्चा में है। विशेषकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस मुद्दे को बार-बार उठा हैं। उनकी पहल के बाद ही बिहार के राजनीतिक दलों का एक डेलिगेशन बीते 23 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से भी मिलकर देश में जातीय जनगणना करवाने की मांग कर चुका है। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) कर रहे थे और इसमें राजद के तेजस्वी यादव ( RJD Leader Tejaswi Ydav) व भाजपा के नेता समेत 10 सियासी पार्टियों के 11 लोग शामिल थे। एक बार फिर जाति जनगणना को लेकर बिहार के पूर्व सीएम व राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा के कि देश में जरूरत पड़े तो रिजर्वेशन की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक की जानी चाहिए।
लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट में लिखा, जाति जनगणना जरूरी। SC, ST, पिछड़ों की संख्या ज्यादा हो तो तोड़ी जाए 50% आरक्षण की सीमा। जाहिर है लालू यादव के इस दो लाइन के ट्वीट के बड़े सियासी मायने हैं। दरअसल राष्ट्रीय जनता दल की ओर से लगातार जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया जाता रहा है। इसी की आड़ में आरक्षण के मुद्दे को भी तूल दिया जा रहा है। जाहिर है लालू यादव ने एक बार फिर दूर का सियासी दांव चला है।
बता दें कि राजद की पहल पर जातिगत जनगणना के लिए बिहार विधानसभा से दो बार प्रस्ताव भी पास किया गया है। हालांकि केंद्र सरकार ने बीते दिनों लोकसभा में दो टूक कह दिया था कि सरकार इसको लेकर कोई विचार नहीं कर रही है। हालांकि, जब सीएम नीतीश कुमार ने इसको लेकर पीएम मोदी से 4 अगस्त को पत्र लिखा और बिहार के सियासी पार्टियों के मिलने का आग्रह किया तो पीएम ने बिहार के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। तब मीटिंग से बाहर आए नेताओं ने कहा था कि पीएम ने इस मामले पर विचार करने की बात कही है।
हालांकि जनगणना हर दस साल पर किया जाता है और वर्ष 2011 के बाद 2021 में भी जनगणना किया जाना है। लेकिन जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र सरकार की ओर से सुगबुगाहट नहीं देखी जा रही है। दूसरी ओर हाल में ही 4 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के एक मामले में पुन: स्पष्ट कर दिया था कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण, अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षित कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। जाहिर है शीर्ष अदालत के निर्णय के बाद भी लालू यादव द्वारा जातिगत जनगणना के बहाने आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग के बड़े सियासी मायने हैं।
स्त्रोत : न्यूज18बिहार