बिहार से अलग कर मिथिला राज्य बनाने की मांग बहुत पुरानी है। लेकिन राजनीतिक उदासीनता की वजह से यह मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी है। अब ये मांग फिर जोर पकड़ने लगी है। एक स्वयंसेवी संस्था मिथिला राज्य निर्माण सेना इसके लिए 26 सितंबर से उत्तर बिहार के जिलों में एक पुनर्जागरण यात्रा शुरू करने जा रही है।
यह यात्रा 5 चरणों में मिथिला के सभी जिलों में जाएगी और लोगों को अलग राज्य की मांग के लिए जागरूक करेगी। अंत में दरभंगा के राज मैदान में एक बड़ी रैली होगी। इस बात की जानकारी मिथिला राज्य निर्माण सेना के महासचिव राजेश झा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
मिथिला राज्य निर्माण सेना के महासचिव राजेश झा ने कहा कि अलग राज्य के बिना मिथिला का विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार की 60 प्रतिशत आबादी मिथिला क्षेत्र में रहती है लेकिन इसके संसाधनों पर मगध क्षेत्र का राज चलता है। उन्होंने कहा कि इसलिए वे वर्षों से अलग मिथिला राज्य की मांग करते रहे हैं।
मिथिला राज्य निर्माण सेना के महासचिव राजेश झा ने कहा कि वे 26 सितंबर से मधुबनी के फुलहर नामक स्थान से पुनर्जागरण यात्रा की शुरुआत करेंगे। ये यात्रा 5 चरणों में होगी और इस दौरान मिथिला से हर जिले में यात्री पहुंचेंगे और लोगों को जागृत करेंगे। उन्होंने कहा कि इसका समापन दरभंगा के राज मैदान में एक रैली के रूप में होगा जहां से वे बिहार सरकार के समक्ष अपनी मांग को जोरदार ढंग से रखेंगे।
उन्होंने कहा कि वे लोग अब नयी ऊर्जा के साथ इस लड़ाई को शुरू करने जा रहे हैं। मिथिला निर्माण सेना के रूप में एक नए नारे के आए हैं। उन्होंने कहा कि ‘ले जान कि दे जान’ अब उनका नारा है। राजेश झा ने कहा कि लोकतांत्रिक आंदोलनों के माध्यम से वे अपनी आवाज केंद्र और राज्य सरकार तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो आने वाले समय में वे उग्र आंदोलन भी करेंगे। उन्होंने कहा कि अलग राज्य के लिए अगर उन्हें अपनी जान न्योछावर करनी पड़े तो वह भी करेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान संजीव मिश्रा भी मौजूद थे।