तमिलनाडु के छात्रों के लिए ये खुशखबरी है। वे 12वीं पास करने के बाद डॉक्टर बनना चाहते हैं तो अब उन्हें NEET यानी नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट नहीं देना पड़ेगा। 12वीं के अंकों के आधार पर ही एडमिशन मिल जाएगा। ये तय हुआ सोमवार 13 सितंबर को। जब तमिलनाडु विधानसभा ने एमके स्टालिन सरकार के उस बिल को पारित कर दिया, जिसमें NEET के बिना ही मेडिकल एडमिशन देने की बात कही गई है। सत्तारूढ़ DMK के अलावा लगभग सभी विपक्षों दलों ने भी इस बिल का समर्थन किया है। सिवाय BJP के। बिल को लेकर हुई बहस के दौरान BJP सदन से वॉकआउट कर गई।

इस विधेयक के कानून बनने के बाद तमिलनाडु में नीट परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी। मेडिकल कॉलेजों में 12वीं क्लास के नंबरों के आधार पर ही एडमिशन दे दिया जाएगा। स्टालिन सरकार का कहना है कि उसने एक उच्च स्तरीय समिति के सुझावों के आधार पर ही ये विधेयक लाने का फैसला किया है। बिल के पास होने के बाद अब तमिलनाडु में ग्रैजुएशन लेवल की मेडिकल शिक्षा (जैसे MBBS, BDS, BHMS आदि) के लिए नीट परीक्षा पास करने की बाध्यता खत्म हो जाएगी। केवल 12वीं के अंकों के आधार पर दाखिला मिल जाएगा। इसके लिए मिनिमम कितने प्रतिशत नंबर चाहिए होंगे, ये अभी साफ नहीं हो पाया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सभी पार्टियों के विधायकों से इस बिल को पारित कराने के लिए सहयोग मांगा था। आजतक संवाददाता प्रमोद माधव की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीएम स्टालिन ने कहा कि DMK सरकार चाहती है कि केंद्रीकृत परीक्षा से उनके राज्य के छात्रों को छूट दी जाए। इसलिए इस विधेयक के माध्यम से सरकारी और निजी संस्थानों में मेडिकल स्नातक की सीटों के लिए 12वीं कक्षा के अंकों के आधार पर सीटों का आवंटन किया जाएगा। सीएम स्टालिन ने कहा कि नए कानून के तहत सरकारी स्कूलों के छात्रों को सीट आवंटन में 7।5 प्रतिशत वरीयता मिलेगी।

दरअसल सरकार का मानना है कि अगर 12वीं के नंबरों के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को प्रवेश दिया जाएगा तो सभी को मौका मिलेगा और समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो सकेगा। स्टालिन ने ये भी कहा कि राज्य सरकार का प्रस्ताव है कि सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने और कमजोर समुदायों के छात्रों के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए नीट एग्जाम एकमात्र द्वार नहीं होना चाहिए।
शनिवार 12 सितंबर को देशभर में नीट (NEET) की परीक्षा हुई। डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले लाखों छात्र-छात्राओं ने इस परीक्षा में भाग लिया। लेकिन इससे ठीक एक दिन पहले यानी 11 सितंबर की रात तमिलनाडु में एक 19 साल के छात्र ने सुसाइड कर ली। धनुष नाम का ये छात्र दो बार नीट की परीक्षा दे चुका था और इस दफा तीसरी बार परीक्षा देने वाला था। कथित तौर पर नीट परीक्षा में असफल हो जाने के डर से उसने ये कदम उठाया। इस घटना ने तमिलनाडु समेत देश के हर उस छात्र को हिला दिया, जो किसी ना किसी प्रकार की उच्च शिक्षा की तैयारी में लगा हुआ है।

धनुष का मामला सोमवार को विधानसभा में भी गूंजा। पूर्व सीएम और अब विपक्ष के नेता के पलानीस्वामी ने कहा कि डीएमके ने नीट परीक्षा रद्द करने का वादा किया था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और राज्य के छात्र इसके लिए तैयार नहीं थे। वहीं, डीएमके सरकार ने इसका ठीकरा केंद्र के सिर फोड़ दिया। सीएम स्टालिन ने कहा कि पलानीस्वामी के सीएम रहते हुए केंद्र ने नीट का आयोजन किया था। उन्होंने ये भी दावा किया कि हाल के सालों में पलानीस्वामी के सीएम रहते कई छात्रों ने आत्महत्या की है।