उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। खबर लिखे जाने तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 5, समाजवादी पार्टी को 2, अपना दल (सोनेलाल) को 1 सीट पर जीत मिली है। बीजेपी के उम्मीदवार भी 3 सीटों पर आगे चल रहे हैं। यूपी में करारी हार के बावजूद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने खुशी जाहिर की है क्योंकि उनका वोट शेयर पहले की तुलना में बढ़ा है।
कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा
यूपी विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत बढ़कर लगभग दोगुना हुआ है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 6।25 फीसदी वोट मिला था। उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने आंदोलनों और विरोध प्रदर्शन का बखूबी सहारा लिया और इससे जनसंपर्क बढ़ाने में अच्छी सफलता मिली। प्रियंका गांधी की अगुआई में कार्यकर्ताओं की सक्रियता की बदौलत कांग्रेस ने 12।80 फीसदी वोट पाया है। इसी के साथ उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत बढ़ाने वाली पार्टी बनी है। सबसे बड़ा नुकसान बीजेपी को हुआ है, क्योंकि उसका वोट 14 प्रतिशत के करीब कम हुआ है। हालांकि बीजेपी अब तक अधिकांश 5 सीटें जीत चुकी है और 3 पर आगे चल रही है।
#WATCH: Congress General Secretary for UP (East) Priyanka Gandhi Vadra in Raebareli says, “I haven’t seen the latest trends, really happy at both (Haryana and Maharashtra). We also are happy about the fact that here in UP our vote percentage has increased.” pic.twitter.com/WICkvwnUqd
— ANI UP (@ANINewsUP) October 24, 2019
गंगोह विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार नोमान मसूद को जीत की उम्मीद थी। लेकिन अंतिम राउंड में उन्हें पराजित घोषित कर दिया गया। बीजेपी उम्मीदवार कीरत सिंह को जीत हासिल हुई है। कांग्रेस ने इसे बीजेपी की ‘धांधली’ बताया और लखनऊ में निर्वाचन अधिकारी के फैसले के खिलाफ उसके कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए हैं।
प्रियंका गांधी का बयान
गंगोह सीट पर बीजेपी की जीत पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया और कहा, बीजेपी को इतना घमंड हो गया है कि उसके मंत्री जीते हुए उम्मीदवार को मतदान केंद्र से बाहर निकाल कर जनता के फैसले को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। जिला मजिस्ट्रेट को हमारे उम्मीदवार की बढ़त को घटाने के लिए पांच बार फोन किया गया। यह लोकतंत्र का अपमान है और यूपी कांग्रेस इसके खिलाफ पूरी ताकत के साथ लड़ेगी। निर्वाचन आयोग को इस धांधली की जांच करनी चाहिए।
कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं
जिन सीटों पर चुनाव हुए, उनमें नौ सीटें बीजेपी के कब्जे में गई थीं, प्रतापगढ़ की एक सीट बीजेपी की सहयोगी अपना दल के कब्जे में थी। बाकी रामपुर की एक सीट सपा और अंबेडकरनगर के जलालपुर की सीट बीएसपी ने जीती थी। इन 11 सीटों में से 10 सीटों पर जो विधायक जीते थे वे इस साल हुए लोकसभा चुनाव में सांसद बन गए। लिहाजा उन्हें अपने विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जबकि घोसी सीट पर जीते बीजेपी के फागू चौहान ने बिहार का राज्यपाल बनाए जाने पर विधायक पद छोड़ दिया था। उपचुनाव वाली सीटों में से कांग्रेस के कब्जे में एक भी सीट पहले से नहीं है। इसलिए उसके पास खोने को कुछ नहीं है, हालांकि उपचुनाव में कांग्रेस ने अपना वोट प्रतिशत अच्छा खासा बढ़ाया है।