मोदी सरकार ने निजीकरण को लेकर बड़े फैसले की तरफ कदम आगे बढ़ाया है। अब इसका विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस पहले से ही निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोल कर बैठी थी और अब बिहार में मुख्य विपक्षी दल आरजेडी ने भी निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि आर्थिक फायदे के लिए अगर निजीकरण को इतना बढ़ाया जाएगा तो देश में कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा करना मुश्किल हो जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि भारत एक अत्यंत सामाजिक आर्थिक असमानता वाला देश है। अगर निजी क्षेत्र, जिसका एकमात्र उद्देश्य अधिकाधिक लाभ कमाना होता है, के हाथों में ही सबकुछ बेच दिया जाएगा तो कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा कौन करेगा?
तेजस्वी ने कहा है कि शिक्षा,स्वास्थ्य,परिवहन,नौकरी… सबकुछ कमज़ोर वर्गों की पहुँच से बाहर हो जाएगा। केंद्र में बैठे नीम हकीमों ने अच्छी खासी दौड़ रही अर्थव्यवस्था को इतना बीमार कर दिया है कि अब इसका रेंगना भी दूभर हो गया है। अब इसे ज़िंदा रखने के लिए इसी के अंग काट-काटकर देश की संपत्ति ये झोलाछाप निजी हाथों में बेच रहे हैं। आँगन बेचकर किसी तरह घर चलाना कौन सी काबिलियत है, साहब? तेजस्वी का यह हमला बताता है कि आने वाले दिनों में निजीकरण के खिलाफ हो आरजेडी किस तरह है मुखर होने वाली है।
बता दें कि मोदी सरकार ने देश की सरकारी संपत्तियों को नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना के तहत किराए पर देने का प्लान लागू कर दिया है। केंद्र सरकार प्राइवेट कंपनियों को 4 साल के लिए सरकारी संपत्ति को किराए (लीज) पर देगी। जिसके तहत सरकार 6 लाख करोड़ रुपये जुटाना चाहती है। मोदी सरकार घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को या तो बंद कर रही है या फिर निजी कंपनियों के हाथों बेचकर पैसा जुटाने में लगी है।