हिमंत बिस्व सरमा । जब से मुख्यमंत्री बने हैं । अपने फैसले से सबों को चौंकाते रहते हैं । फिर वो बच्चे पैदा करने के नियम को लेकर हो । या फिर आजान के लाउडस्पीकर की । अपने फैसले में वो एकदम साफ रहते हैं । बिना किसी लाग-लपेट के घोषणा करते हैं । इस बार उन्होनें विधानसभा में जो विधेयक पेश किया है वो मवेशी वध को लेकर है । इस विधेयक का उदेश्य हिन्दू, जैन और सिख समुदाय बहुल क्षेत्र में मवेशी वध निषेध को लेकर है । अब न तो इस क्षेत्र में मवेशी काटे जाएंगे न ही इन्हे ट्रकों में भरकर बाहर भेजा जाएगा । इस कानून के अनुसार इसका उल्लंघन करने वालों पर गैर जमानती वारंट जारी होगा ।
सरमा ने सदन में विधेयक पेश करने के बाद यह भी उल्लेखित किया कि ‘नये कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मवेशियों के वध की उन क्षेत्रों में अनुमति नहीं दी जाये, जहां मुख्य रूप से हिंदू, जैन, सिख और बीफ नहीं खाने वाले समुदाय रहते हैं अथवा वे स्थान किसी मंदिर और अधिकारियों द्वारा निर्धारित किसी अन्य संस्था के पांच किलोमीटर के दायरे में आते हैं.’ उन्होंने कहा कि कुछ धार्मिक अवसरों के लिए छूट दी जा सकती है.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि एक नया कानून बनाने और पूर्व के असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 1950 को निरस्त करने की आवश्यकता थी, जिसमें मवेशियों के वध, उपभोग और परिवहन को विनियमित करने के लिए पर्याप्त कानूनी प्रावधानों का अभाव था. अधिनियमित हो जाने पर कानून किसी व्यक्ति को मवेशियों का वध करने से निषिद्ध करेगा, जब तक कि उसने किसी विशेष क्षेत्र के पंजीकृत पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया हो.
बिल पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता देवब्रत सैकिया ने कहा कि बिल में कई सारे विवादित पहलू हैं और वे इसका लीगल एक्सपर्ट्स से समीक्षा करवा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘जैसा कि बीफ से संबंधित 5 किलोमीटर का नियम है. एक पत्थर कहीं भी गाड़ा जा सकता है और मंदिर कहीं बनाया जा सकता है. ऐसे में यह बहुत समस्याप्रद हो जाता है. इससे बहुत ज्यादा सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा.’
विपक्ष ने कहा कि वे इस बिल में संशोधन के लिए जोर देंगे. ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के विधायक अमीनुल इस्लाम ने कहा,
“ये बिल गाय की सुरक्षा या सम्मान के लिए नहीं लाया गया है. बल्कि मुसलमानों की भावनाओं को चोट पहुंचाने और सामाजिक ध्रुवीकरण करने के लिए लाया गया है. हम इस बिल का विरोध करते हैं और कोशिश करेंगे कि बिल में संशोधन हो.”
विधेयक के अनुसार साथ ही, उचित रूप से लाइसेंस प्राप्त या मान्यता प्राप्त बूचड़खानों को मवेशियों को काटने की अनुमति दी जाएगी. यदि अधिकारियों को वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं तो नया कानून राज्य के भीतर या बाहर गोवंश के परिवहन पर रोक लगाएगा. हालांकि, एक जिले के भीतर कृषि उद्देश्यों के लिए मवेशियों को ले जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा.
विधेयक के अनुसार पशु चिकित्सा अधिकारी केवल तभी प्रमाण पत्र जारी करेगा जब उसकी राय में मवेशी, जो कि गाय नहीं है और उसकी आयु 14 वर्ष से अधिक हो. किसी गाय, बछिया या बछड़े का तभी वध किया जा सकता है, जब वह स्थायी रूप से अपाहिज हो.
जिले के भीतर बिक्री और खरीद के उद्देश्य से पंजीकृत पशु बाजारों के लिए मवेशियों के परिवहन के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है. दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन साल की कैद या 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है. नए कानून के तहत अगर कोई दोषी दूसरी बार उसी या संबंधित अपराध का दोषी पाया जाता है तो सजा दोगुनी हो जाएगी.
कानून पूरे असम में लागू होगा और ‘मवेशी’ शब्द बैल, बछिया, बछड़े, भैंस, भैंसा और भैंस के कटड़ों पर लागू होगा.