आपने बिहार की बसों में कभी सफर किया है ? तो आप उपर की तस्वीरों से इत्तेफाक रखते होंगे । यहाँ आपने सीट पर गमछा या रूमाल रख दिया । तो वह सीट परमानेंट आपकी हो जाती है । फिर किसी की हिम्मत नहीं की वो उस सीट पर बैठ जाएं । यहाँ यह आम बात है, आपने अगर कहीं भी रूमाल, गमछा या कोई भी सामान रख दिया तो वो जगह आपकी हो जाती है ।
लेकिन देश के कई कोनें में अब यह घटना आम हो गई है । पहले आपने राशन की दुकान में देखा होगा कि लाइन लगाने के लिये लोगों ने चप्पल रख दिये । यही हाल कोविड वैक्सीनेशन सेंटर का हो गया है । यहाँ लोग रात से लाइन में लग जाते हैं ताकि उनका नंबर आ सके । जी हाँ हम बात कर रहे हैं असम के करीमगंज जिले की । यहां के एक कोविड-19 वैक्सीनेशन सेंटर में लोग आधी रात को आते हैं और सुबह लगने वाली लाइन में अपनी जगह बुक करने के लिए बोतल, जूते-चप्पल छोड़ जाते हैं। सुबह उसी जगह आकर खड़े हो जाते हैं।
ऐसा क्यों कर रहे लोग?
करीमगंज के इस वैक्सीनेशन सेंटर में पहले किसे टीका लगेगा, ये देश के अधिकतर टीकाकरण केंद्रों से थोड़ा अलग तरीके से तय हो रहा है। आमतौर पर किसी वैक्सीनेशन सेंटर के सुबह खुलने पर लोग उसके आगे लाइन लगाते हैं। जो पहले आता है, उसका नंबर आगे। बाद में आने वाले लोग पीछे खड़े होते हैं। लेकिन करीमगंज स्थित सेंटर में अगर कोई सुबह आए तो शायद उसे सबसे पीछे खड़ा होना पड़े। क्योंकि यहां लाइन रात में ही तय हो जाती है। सबसे पहले वैक्सीन शॉट पाने के लिए लोग रात में आकर वैक्सीनेशन रूम के सामने बोतलें, जूते, बैग, कागज यहां तक कि पेड़ के पत्ते छोड़कर अपना नंबर बुक कर लेते हैं।
स्थानीय रिपोर्टर का कहना है कि असम में कोरोना वैक्सीन की कमी है। वहीं, कोविड-19 की दूसरी लहर से घबराए लोगों में टीका लगवाने की मारामारी है। लेकिन स्टॉक है नहीं। इसलिए लोग बाकी बची डोज पहले लगवाने के लिए इस तरह नंबर लगाते हैं।
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं
करीमगंज के गिरीश मॉडल हॉस्पिटल में बना ये सेंटर इस इलाके का एकमात्र टीकाकरण केंद्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, इलाके के कम से कम 20 गांव इस सेंटर के तहत आते हैं। सरकार ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा है कि कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए वैक्सीनेशन सेंटर आने वाले लोगों को वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। लेकिन यहां इस नियम का पालन होता नहीं दिखता। पहले ही लाइन में अपनी जगह तय कर चुके लोगों को इसमें दिलचस्पी नहीं। यहां रात में नंबर लगाने आए एक युवा ने रिपोर्टर से बातचीत में कहा,
इस युवक ने बताया कि कई लोग बोतलें, जूते और दूसरे चीजें रखकर लाइन में अपनी जगह रिजर्व कर लेते हैं।
वहीं, एक महिला ने बताया कि वो सुबह 5 बजे सेंटर पहुंच गई थीं। हालांकि उन्होंने बोतल या जूता-चप्पल रखकर अपनी जगह रिजर्व नहीं की। इस महिला ने अन्य लोगों के साथ लाइन में पीछे लगकर अपना नंबर आने का इंतजार किया। वो कहती हैं,