पटना ने अपने कचरा उठाव की प्रक्रिया और उसके शुल्क में थोड़ा सा संशोधन किया है । अब इसे सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के 6 नई उप श्रेणियों में बांटा गया है । इसमें तीन नई श्रेणियों को भी जोड़ा गया है। निगम प्रशासन ने कहा कि सरकार की ओर से जारी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के अनुसार दरों का निर्धारण किया गया है।
हालांकि, इसमें साफ है कि नगर निकाय इन मामलों में यूजर फीस का निर्धारण करने में सक्षम है। आम लोगों के फीडबैक और शुल्क वसूली को बेहतर बनाने के लिए नगर निगम क्षेत्र की परिसंपत्तियों का फिर वर्गीकरण किया गया है। नई उपश्रेणियों के जोड़ने से टैक्स वसूली की प्रक्रिया सही प्रकार से संचालित होंगी। निगम प्रशासन ने रेस्टोरेंट को दो भाग में बांट दिया है। होटलों को भी वर्गीकृत किया गया है।
शैक्षणिक संस्थानों में स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय आदि को भी अब अलग-अलग टैक्स के दायरे में लाया गया है। अस्पतालों को पहले दो भागों में बांटा गया था। अब इन्हें पांच भाग में बांटा गया है। पहले 50 बेड तक के हॉस्पिटल को 1500 रुपए और 50 बेड से अधिक के हॉस्पिटल को 3000 रुपए कचरा शुल्क देना होता था। अब यह शुल्क एक हजार से पांच हजार के बीच होगा। नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा ने सशक्त स्थायी समिति की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि जिन संस्थानों से अधिक टैक्स की वसूली कर ली गई है, उन्हें नए टैक्स के दायरे में लाकर बची राशि को अगले वर्ष के टैक्स असेसमेंट में छूट के रूप में दिया जाएगा।
मवेशी पालकों को राहत, नियम न मानने वालों पर होगी कार्रवाई
समिति ने खटाल संचालकों पर अब नकेल कसने की तैयारी कर ली है। खुले या नाला में गोबर फेंकने वालों पर निगम प्रशासन कार्रवाई करेगा। बैठक में मवेशी पालकों को राहत भी देने का निर्णय लिया गया। इसके तहत हर खटाल संचालक को हर मवेशी के लिए 30 रुपए मासिक आधार पर गोबर उठाव व प्रोसेसिंग शुल्क देना होगा।
मवेशी पालक अपने स्तर पर गोबर से कंपोस्ट बनाने की बात करते हैं। निगम प्रशासन ऐसे मवेशी पालकों पर नजर रखेगा। अगर वे खुले या नाला में गोबर बहाते हैं तो उनसे 500 रुपए दंड वसूला जाएगा। इसके अलावा सब्जी मंडी में दुकान लगाने वालों को भी अब कचरा शुल्क का भुगतान करना होगा। क्लब को भी इस दायरे में लाया गया है।