कोरोना वायरस । एक ऐसी महामारी जिसके आगे दुनियां ने घुटने टेके, फिर हिम्मत दिखाई और अब लड़ने के लिये तैयार भी है । लेकिन फिर भी यह महामारी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है । इसका नया रूप तो और भी खतरनाक रूप लेकर आने वाला है । ऐसे में वैक्सीन के साथ-साथ बचाव बेहद जरूरी है । इस बचाव की कड़ी में मास्क के साथ साथ हमें उन चीजों का भी ध्यान रखना होगा जिसका इस्तेमाल हम ज्यादा से ज्याद करते हैं । इनमें से एक है मोबाइल फोन । चुकिं हम मोबाइल फोन को सबसे ज्यादा अपने करीब रखते हैं तो यह कोरोना का सबसे बड़ा घर बन सकता है ।
कैसे होता है फोन संक्रमित
कोरोना वायरस मुँह के ड्रॉपलेट (अर्थात मुँह से निकलने वाले पानी की बुंद) के कारण फैलता है । चुकिं आपका फोन बार-बार आपके मुँह के करीब रहता है । इसलिये ये संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है कि वहाँ कोरोना का खतरा सबसे ज्यादा रहेगा । क्योंकि बात करने के दौरान ये ड्रॉपलेट आपके फोन के स्क्रीन पर भी तेजी से जमा होगा । जो संक्रमण के खतरे को तेजी से बढ़ा देता है ।
स्मार्टफोन ही क्यों?
स्मार्टफोन निजी चीज है, जो हमेशा मरीज के मुंह के पास होता है। इससे स्क्रीन पर वायरस जमा होते जाते हैं। वैज्ञानिकों ने इसी बात को ध्यान में रखकर स्टडी की। इसमें बात में सच्चाई पाई गई। यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में हुई इस स्टडी में स्क्रीन की जांच से कोरोना निगेटिव या पॉजिटिव होने को देखा गया। फोन स्क्रीन टेस्टिंग में मोबाइल फोन से सैंपल लेकर उसे सलाइन वॉटर में रखा जाता है। इसके बाद सैंपल को सामान्य पीसीआर की टेस्ट जांचा जाता है। ये प्रक्रिया वैसी ही है, जैसे नाक या मुंह से स्वाब लेने पर होता है।
इस तरह हुआ टेस्ट
कुल 540 लोगों पर हुई इस स्टडी में ध्यान दिया गया कि सभी की मोबाइल स्क्रीन जांच के अलावा रेगुलर RTPCR भी हो। इससे ये तय हो सकता था कि जो RTPCR में पॉजिटिव या निगेटिव होता है, उसकी फोन स्क्रीन क्या बताती है। दोनों ही जांचें दो अलग लैब में हुईं ताकि एक के रिजल्ट की जानकारी दूसरी लैब को न हो।
फोन से कैसे पता चलेगा आप है कोरोना पॉजिटिव
फोन संक्रमित है तो जाहिर तौर पर जिसके हाथ में वो है, उसका भी संक्रमित होना तय है। ऐसे में नाक-मुंह में स्वाब डालने की बजाए सीधे फोन की स्क्रीन जांची जा रही है। इस तरीके को फोन स्क्रीन टेस्टिंग (PoST) कहा जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस में विज्ञान पत्रिका ईलाइफ में छपी रिपोर्ट के हवाले से ये जानकारी दी गई। कथित तौर पर ये एकदम नया और किफायती तरीका है, जो RTPCR की तरह सही नतीजे देता है।