शराबबंदी को अपनी सफलतम योजना बनाकर बिहार सरकार भलें ही अपनी पीठ थपथपा लें लेकिन सच्चाई ये है कि शराब आज भी खुलेआम बिक रही है । पहले जो शराब दुकानों में मिलती थी अब घर बैठे मिल रही है । लेकिन उससे भी बुरी खबर ये है कि सरकार ने अब तक 1.67 लाख शराबीयों को पकड़ा है और कोर्ट में इतनी जगह नहीं है कि सारे के सारे केस निपटा सकें ।
बिहार पुलिस (Bihar Police) को सरकार (Government) की ओर से आदेश (Order) मिला तो शराबियों (Drunken) की धर-पकड़ शुरू हो गई। इसमें पीने वाले भी थे और पिलाने वाले भी शामिल थे। तीन साल पहले 2016 में जब राज्य में शराबबंदी (Liquor Ban) कानून लागू हुआ था उसके बाद से यहां डेढ़ लाख से ज्यादा शराबी पकड़े गए हैं। वहीं लाखों लीटर शराब भी जब्त की जा चुकी है। बिहार में शराबबंदी के तहत कार्रवाई हुई तो इससे जुड़े केस अदालत (Court) में भी पहुंचे। पुलिस की कार्रवाई के चलते कोर्ट में शराब से जुड़े मामलों की बाढ़ सी आ गई है।
तीन साल में 52 लाख लीटर शराब हुई जब्त
हाल ही में शराबबंदी से जुड़े कुछ आंकड़े जारी किए गए हैं। आंकड़ों की मानें तो बिहार में शराबियों और शराब माफिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अब तक 52 लाख लीटर शराब जब्त की जा चुकी है। इसके साथ ही शराबबंदी कानून का उल्लघंन करने पर 1।67 लाख व्यक्तियों को बिहार पुलिस पकड़ चुकी है।
पटना में हुए सबसे ज्यादा मुकदमे
जारी किए गए आंकड़ों के मुताबनिक शराबबंदी कानून सबसे ज्यादा राजधानी पटना में तोड़ा गया। यहां सबसे ज्यादा 28,593 मामले दर्ज किए गए। वहीं गया में 11,221, मोतिहारी में 9,979 और कटिहार में 8,867 शराबबंदी के केस दर्ज हुए हैं। जिस रफ्तार से केस दर्ज हुए उस रफ्तार से न्यायालय में मामलों का निबटारा नहीं हो रहा है। कानून के जानकार जहां इसकी वजह कोर्ट की कम संख्या होना बता रहे हैं वहीं बिहार में विपक्ष अब इसे मुद्दा बनाने में लगा है।
इस बारे में पटना हाईकोर्ट के वकील शांतनु कुमार की मानें तो समय की जरुरत है कि इस (शराबबंदी के केस) पर जल्द से जल्द नियंत्रण पाया जाये, नहीं तो फिर आगे चलकर हालात बेकाबू होते जायेंगे।