आम धारणा के विपरीत पैकेट बंद दूध में खुले दूध की तुलना में अधिक गड़बड़ी पाई गई है। खाद्य नियामक एफएसएसएआई की ओर से दूध की गुणवत्ता पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि जहां खुले दूध के 4.8 फीसदी सैंपल में खामियां पाई गईं, वहीं पैकेट बंद दूध के 10 फीसदी से अधिक सैंपल गड़बड़ मिले। समग्र रूप से बात करें तो 7.1 फीसदी सैंपल में खामियां पाई गईं।
दूध का दूषित होना गंभीर समस्या: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकार (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) पवन अग्रवाल ने शुक्रवार को अपने अध्ययन को जारी करते हुए कहा कि मिलावट से ज्यादा दूध का दूषित होना एक गंभीर समस्या है। क्योंकि प्रसंस्कृत दूध के नमूनों में एफ्लाटॉक्सिन-एम1, एंटीबायोटिक्स और कीटनाशकों जैसे पदार्थ अधिक पाए गए। इसमें प्रमुख ब्रांड सहित विभिन्न कंपनियों के कच्चे दूध और प्रसंस्कृत दूध के नमूने शामिल हैं।
6,432 दूध के नमूने लेने के बाद अध्ययन : इस अध्ययन के लिए एफएसएसएआई ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मई और अक्टूबर 2018 के बीच 1,103 शहरों और कस्बों से कुल 6,432 दूध के नमूने एकत्रित किए थे। अध्ययन के लिए संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों से दूध के नमूने एकत्र किए गए थे।
एफएसएसएआई की रिपोर्ट
एफएसएसएआई (FSSAI) ने शुक्रवार को ‘नेशनल मिल्क सेफ्टी एंड क्वालिटी सर्वे 2018’ रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के लिए इकट्ठा किए गए 6432 सैंपलों में से केवल 12 को असुरक्षित पाया गया है। दूध के असुरक्षित सैंपलों में छः में हाइड्रोजन परऑक्साइड, तीन में डिटर्जेंट्स और दो में यूरिया पाया गया है। असुरक्षित सैंपलों में सबसे ज्यादा नौ तेलंगाना में सामने आए जबकि दो सैंपल मध्यप्रदेश और एक केरल से मिले थे।
कुल 6432 सैंपलों में से 368 (कुल का 5.7 फीसदी) में एफ्लॉटॉक्सिन एम वन पाया गया है। तमिलनाडु के सबसे ज्यादा दूध के सैंपलों में एफ्लॉटॉक्सिन पाय़ा गया है। तमिलनाडु के बाद दिल्ली और केरल के सैंपलों में सबसे ज्यादा एफ्लॉटॉक्सिन एम वन पाया गया है। वहीं 1.2 फीसदी सैंपलों में एंटीबायोटिक्स पाया गया है।
क्वालिटी खराब
दूध में हानिकारक चीजों को मिलाकर बेचने की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन दूध की गुणवत्ता कई कारणों से खराब हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में बिकने वाले दूध का 41 फीसदी सही क्वालिटी का नहीं है। दूध की गुणवत्ता में आई यह कमी दूध में पानी, फैट या चीनी मिलाने की वजह से आई है। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि दूध में फैट जैसी चीजें बाजार की बड़ी कंपनियों के द्वारा मिलाए जा रहे हैं। यह दूध दिल के मरीजों और मोटे लोगों के लिए नुकसानदायक होता है।