20 लाख रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आयी सरकार के राज में बेरोजगारी की सही तस्वीर नीतीश कुमार के गृह जिले में ही दिख गयी. स्वास्थ्य विभाग ने ठेके पर 25 डाटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति के लिए इंटरव्यू रखा गया. पूरे बिहार से तकरीबन 5 हजार बेरोजगार हाथों में बायोडाटा लिये पहुंच गये. लेकिन फिर भी रोजगार मिलने का चांस नहीं दिखा तो फिर जमकर हंगामा भी हुआ. पुलिस को लाठीचार्ज कर उम्मीदवारों को भगाना पड़ा.
मुख्यमंत्री के गृह जिले में हुआ तमाशा
दरअसल नालंदा में जिला स्वास्थ्य समिति ने ठेके पर 25 डाटा एंट्री ऑपरेटर की बहाली शुरू की थी. नौकरी पक्की नहीं थी औऱ ना ही वेतन इतना ज्यादा कि लोग उसके ललचायें. शुक्रवार को नियुक्ति के लिए इंटरव्यू होना था. लेकिन 25 अस्थायी नौकरी के लिए पूरे बिहार से लगभर 5 हजार बेरोजगार बहाली स्थल पहुंच गये. बिहारशरीफ के बीआरसीसी भवन में पहुंची भारी भीड कोविड प्रोटोकॉल को तोड कर नौकरी के लिए मारामारी करने पर उतारू हो गयी. हंगामा ऐसे हुआ कि पुलिस को बुलाकर उम्मीदवारों को खदेड़वाना पड़ा.
दरअसल जिला स्वास्थ्य समिति को इसका अंदाजा ही नहीं था कि ऐसी अस्थायी नौकरी के लिए इतनी भीड पहुंच जायेगी. लिहाजा उसके मुताबिक कोई इंतजाम ही नहीं किया गया था. अनुमान से काफी ज्यादा अभ्यर्थियों के पहुंचने से पूरी व्यवस्था चरमरा गई.इससे नाराज अभ्यर्थियों ने जमकर बवाल काटा. नतीजा ये हुआ कि नियुक्ति प्रक्रिया ही रोक देनी पड़ी.
हंगामा, तोड़फोड़ के बाद लाठी चार्ज
नौकरी के लिए बीआरसीसी भवन पहुंचे अभ्यर्थियों का आऱोप था कि नियुक्ति में पक्षपात किया जा रहा है. वॉक इन इंटरव्यू के लिए हाथों हाथ फार्म लेकर इंटरव्यू का एलान किया गया था. लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि सरकारी व्यवस्था ध्वस्त हो गयी. इसके बाद नाराज अभ्यर्थियों ने धांधली का आरोप लगाते हुए जमा किए गए फॉर्म को फाड़ दिया. फॉर्म जमा करने के लिए बनाए गए काउंटर को भी तहस-नहस कर दिया गया. फॉर्म जमा करने के लिए ऐसी आपाधापी मची कि अभ्यार्थी एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए. स्वास्थ्य समिति के दफ्तर में कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ गईं.
इसके बाद पुलिस को खबर देकर बुलाया गया. पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठियां बरसायीं. इसके कारण भगदड़ मच गयी. काफी मशक्कत के बाद भीड़ को काबू किया गया.