बिजली यानि इलेक्ट्रिसिटी हमारे जीवन में क्या अहमियत रखती है यह तो हम सब जानते हैं। बिजली हमारे घरों को रोशन करती है, क्लब और पार्टियों में भी चार चांद लगाती है। रोशनी के त्योहार दीपावली पर बिजली की रंग-बिरंगी लड़ियां इस त्योहार को और भी रंगीन ओर रोशन कर देती हैं। अब आप सोच रहे होंगे आखिर हम आज बिजली की इतनी बात क्यों कर रहे हैं। तो जनाब… बता दें कि आज का दिन इस लिहाज से बेहद खास है। चलिए जानते हैं क्यों खास है आज का दिन…
घरेलू उपयोग के लिए बिजली देने की शुरुआत
यह तो आप जानते ही हैं कि बिजली के बल्ब का अविष्कार थॉमस अल्वा एडिसन ने किया, लेकिन यह अविष्कार आज के दिन नहीं किया था। आज का दिन इस लिए खास है क्योंकि आल्वा ने आज ही के दिन यानि 18 अक्टूबर 1878 को घरेलू उपयोग के लिए बिजली उपबल्ध करायी थी। इसके लिए उन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में एडिसन इलेक्ट्रिक लाइट कंपनी बनाई और जेपी मोर्गन व स्पेंसर ट्रास्क इस काम में उनके फाइनांसर थे। थॉमस आल्वा एडिसन ने एक वक्त कहा था, ‘हम इतनी सस्ती बिजली बनाएंगे कि सिर्फ अमीर लोग ही मोमबत्ती जलाएंगे।’
बल्ब का अविष्कार
11 फरवरी 1847 को जन्मे थॉमस अल्वा एडिसन ने साल 1878 में बल्ब के निर्माण की तरफ कदम बढ़ाए और 1879 में उन्होंने इसमें सफलता भी हासिल कर ली। बल्ब के अविष्कार का श्रेय थॉमस अल्वा एडिसन को ही जाता है। हालांकि, वे पहले और इकलौते शख्स नहीं थे, जिसने बिजली का बल्ब बनाने की कोशिश की हो। इतिहासकारों का मानना है कि एडिसन से पहले भी 20 लोगों ने बल्ब बनाए थे, फिर भी आम इस्तेमाल के लायक बल्ब बनाने का श्रेय थॉमस अल्वा एडिसन को ही जाता है। एडिसन ने जो बल्ब बनाया वह पूर्व के सभी आविष्कारकों के प्रयोगों से बेहतर था और उसने इन सबको कॉम्पटीशन से बाहर कर दिया।
सिर्फ बल्ब नहीं किए और भी कई अविष्कार
थॉमस अल्वा एडिसन को बल्ब के अविष्कार के लिए भले ही आज याद किया जाता हो, लेकिन वे एक महान अविष्कारक थे और कई अविष्कार उन्होंने किए। वह अमेरिका के महान अविष्कारक थे। उन्होंने इलेक्ट्रिक पॉवर जेनरेशन, मास कम्यूनिकेशन, साउंड रिकॉर्डिंग और मोशन पिक्चर के क्षेत्र में कई अविष्कार किए। इनमें फोनोग्राफ, मोशन पिक्चर कैमेरा जैसे अविष्कार भी शामिल हैं।
आज ही के दिन कहा दुनिया को अलविदा
थॉमस अल्वा एडिसन एक महान अविष्कारक थे और उनके अविष्कारों की वजह से दुनिया ने काफी तरक्की भी की है। उनके नाम पर अमेरिका में एक हजार से भी ज्यादा पेटेंट थे। इनके अलावा अन्य देशों में भी उन्होंने कई पेटेंट कराए थे। उन्होंने दो शादियां कीं और उनके कुल छह बच्चे हुए। आज ही के दिन यानि 18 अक्टूबर 1931 को उनका निधन हो गया।
साभार – दैनिक जागरण