नीतीश कुमार ने दिल्ली रोहतक रोड पर हो रहे किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर कहा था कि, ‘बिहार के किसानों को किसी तरह की समस्या नहीं है, । इस बात की तीव्र निंदा करते हुए एआईकेकेएमएस (ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन) के बिहार राज्य कमिटी सदस्य लालबाबू महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह कथन बेहद शर्मनाक और सफेद झूठ है। बिहार में कृषि कानून लागू होने के साथ-साथ व पूर्व में भी सरकार की खरीददारी शून्य रही।
बिहार के किसान मक्का की फसल को मिट्टी के भाव ₹800 प्रति क्विंटल बेचने को मजबूर हुए। गेहूं के फसल ओने-पौने दामों में ₹15सौ रुपए प्रति क्विंटल बेचने के मजबूर हुए। वर्तमान में धान के सीजन में अपनी जरूरतों के लिए परेशान किसान ग्यारह सौ रूपए प्रति क्विंटल धान बेचने को मजबूर है। जबकि सरकारी दर 1868 रुपये प्रति क्विंटल है। दूसरी ओर प्राइवेट व्यापारी इतना धान खरीद कर विदेश निर्यात कर रहे हैं।
सिर्फ सोनपुर मंडल रेलवे अधिकारियों का कहना है की ट्रेन से आंध्र प्रदेश धान भेजने में सिर्फ रेलवे को एक करोड़ पचास लाख रुपए का मुनाफा हुआ है। सरकारी स्तर पर खरीद की समुचित व्यवस्था अगर होता एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदारी होती तो किसान अपने खून पसीने की कमाई को ₹800 मक्का बेचने को मजबूर नहीं होते जबकि दूसरे राज्यों में मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1800रुपये था। फिर भी नीतीश कुमार अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उक्त बयान पूर्णता कारपोरेट एवं धनी व्यापारियों के पक्ष में है। नए कृषि कानून को जायज ठहराने वाले नीतीश कुमार को पता होना चाहिए कि किसानों को अपने हित के लिए नए कानून से संसय होना स्वाभाविक है। न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा सरकार का यह कथन धोखाधड़ीपूर्ण और झूठ का पुलिंदा है, क्योंकि भाजपा द्वारा बनाए गए शांता कुमार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त कर देना चाहिए।
एफसीआई- नाफेड द्वारा खरीदारी बंद कर देना चाहिए। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से अनाज देना भी समाप्त कर देना चाहिए। किसानों के फसल के दाम की सुरक्षा केवल सरकारी ही दे सकती हैं, कंपनियां नहीं। कंपनियां केवल सस्ते दर में खरीद कर महंगा बेच सकती है। भाजपा सरकार कॉरपोरेट के लिए कार्य कर रही है। साथ ही खाद्य श्रृंखला को उनके बाजार के लिए खोल रही है। उन्होनें आगे कहा कि कॉरपोरेट कंपनियों के हित में बयान देने वाले मुख्यमंत्री की कॉरपोरेटपरस्त नीति के खिलाफ बिहार में किसान आंदोलन तेज किया जाएगा।