एक्टर एजाज खान आए दिन सोशल मीडिया पर हर एक मुद्दे पर अपनी बात रखते दिखते हैं। इन दिनों कृषि कानून और किसान प्रोटेस्ट को लेकर एक्टर एजाज अपनी बात सामने रखते दिख रहे हैं। हाल ही में किसान मुद्दों पर एजाज खान ने ट्वीट कर बीजेपी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा। एजाज ने ट्वीट कर दो लाइन लिखीं।
उन्होंने कहा- ‘किसान जमा हों तो कोराना फैल सकता है। ये प्रचार करें तो वैक्सीन बन रही है।’ ज्ञात हो बीजेपी आए दिन जनसमुदाय के बीच अपनी रैलियां करती दिखती हैं। ऐसे में एक्टर ने चुटकी लेते और ताना कसते हुए कहा कि क्या कोरोना तब फैलने का डर नहीं होता जब रैलियां होती हैं? एजाज के इस ट्वीट को देख कर कई लोग उनके समर्थन में आकर रिप्लाई करने लगे। तो कुछ लोग इस बात का जवाब भी देते दिखे।
एक यूजर ने लिखा- ‘इन्हें पाकिस्तान भेजो, ये टाइम भी आयेगा जय श्री राम। मोटा भाई कागज निकलवाओ इनके। ओला उबर-लाहौर पै बिल्ला कूदत।’ एक ने लिखा- ‘जीन्स पैंट पहने या फार्च्यूनर में सवार किसान जिन दलालों को किसान नहीं नजर आता है, उन्हीं को 30 हजार रुपये किलो वाली मशरूम की सब्जी खाते, 1.50 लाख की चश्मा पहनते, और दिन में 4 बार ड्रेस बदलने वाला इंसान फ़क़ीर नजर आता है। अवधारणा की बेहदूगी है ये।’ तो एक शख्स ने मस्ती लेते हुए लिखा- ‘तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं।’
एक ने जवाब देते हुए लिखा- ‘जब नेता चुनने का वक़्त होता है तो कांग्रेस और राहुल गांधी को पप्पू करार दिया जाता है। जब देश में सरकार के खिलाफ कोई भी आंदोलन हो तो उस के पीछे राहुल गांधी और कांग्रेस का शातिर दिमाग होता है। इन दोनों प्रोपेगेंडा पर भरोसा करने वाले मूर्खों को ही अंधभक्त कहा जाता है।’
तो किसी ने लिखा- ‘ऐसी वैक्सीन जिसे लेने के बाद मति मारी जाती है और जीवन में अंधभक्ति का सहारा मिल जाता है। ये वैक्सीन भारतवर्ष के लगभग 30 प्रतिशत लोगों को लग चुकी है। आप भी मुफ्त में ले सकते हैं, इसके लिए बहुत सारे अड्डे भी खोले गए हैं। जैसे बीजेपी IT सेल, गोदी मीडिया इत्यादि, ज़न में हित जारी।’
बता दें, अमित शाह ने किसानों के आगे प्रस्ताव रखा था कि किसानों को दिल्ली सीमाओं से हटकर प्रदर्शन की प्रस्तावित जगह पर जुटना चाहिए। शाह ने कहा कि सरकार उनसे जल्द बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन उसके लिए उन्हें बुराड़ी पहुंचना होगा। लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। बताया गया है कि किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं पर ही जुटे रहने का फैसला किया है।