तेजस्वी भव : आज तेजस्वी यादव का जन्मदिन है और यह जन्मदिन उनके लिए बहुत खास होने वाला है यह जन्मदिन उन्हें बहुत बड़ी ताकत के साथ बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी देने वाला है 31 वर्ष के युवा तेजस्वी इस बिहार के चुनाव में अपने पिता की द्वारा की गई राजनीति को बहुत पीछे छोड़ आए है इस चुनाव में तेजस्वी अपने पिता के विरुद्ध बनाये गए हर नैरेटिव को तोड़ने में सफल हुए है वो अपने पिता के विरोधियों द्वारा रचे गए बहुत से मिथकों को तोड़ रहे है जो तथाकथित “जंगल राज” उन्हें पिता की विरासत में मिला था उसे वो काफी पीछे छोड़ आये है
लोकसभा चुनावों के दौरान तेजस्वी ने नीतीश और मोदी पर लगातार हमला किया था । किसी भी जनोसरकार के मुद्दों को भी नही उठाया था। इन चुनावों में तेजस्वी रोजगार,स्वास्थ्य, और शिक्षा पर लगातार बात कर रहे थे। वो इस चुनाव का एजेंडा तय कर रहे थे जैसे उनके पिता करते थे बस अंतर यह है कि वो अपने पिता के विपरीत आम आदमी के मूद्दो को जनता के बीच जाकर सीधा संवाद कर रहे थे भाषा की मर्यादा का ध्यान रखते हुए वो बड़ी सौम्यता और मैच्योरिटी से हर बात का उत्तर दे रहे थे इस मामले में वह अपने पिता लालू प्रसाद यादव से भी बेहतर साबित हुए है.
सत्ता में आने के बाद से लालू यादव ने पिछड़ी जातियों, मुसलमानों और दलितों को गोलबंद किया और अपने भाषणों से उनकी अस्मिता को भी जगाया लेकिन विकास और नौकरियां लालू के लिए कभी मुद्दा ही नही थे 2010 के विधानसभा चुनावों में, जब बिहार में नीतीश ने जाति के फार्मूले में ‘विकास’ को जोड़ा, तब भी लालू पुराने मुद्दों पर ही बात कर रहे थे। यही कारण था कि तमाम नाटकीयता के बाद भी वो वोटरों को रोचक और आकर्षक नही लग रहे थे.
चूनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी अपने पिता की जाती की राजनीति से इतर काम कर रहे थे अपने भाषणों में तेजस्वी जाति के बारे में बोलने से बच रहे थे सरकारी नौकरियों का उनका वादा सारी जातियों के लिए था उन्होंने युवाओं से जाति पर नही नोकरी के लिए वोट माँगे है दरअसल तेजस्वी ने बिहार के युवाओं की दुखती नस को पकड़ लिया था और इस चुनाव का यही टर्निंग पॉइंट सिद्ध हुआ.
लालू बिहार का अतीत हैं, तेजस्वी बिहार के भविष्य के बारे में बोल रहे है यही इस चुनाव की सबसे बड़ी बात है 10 लाख नौकरियों का वादा कई विश्लेषकों को छलावा लग सकता है लेकिन राजनीति में आपको लोगो को एक सपना दिखाना होता है लोगो की सबसे बड़ी आवश्यकता को समझना होता है जैसे मोदी 2014 में इस बात को समझ गए थे वैसे ही तेजस्वी लोगो को समझाने में लग गए कि वो उन्हें रोजगार देंगे और वो इसमें कामयाब भी रहे है
तेजस्वी ने पूरे प्रचार में पिता लालू यादव और माँ राबड़ी देवी के पोस्टर के बिना प्रचार किया वो अपने पिता के महिमा मंडल से सफलतापूर्वक निकल कर अपनी एक अलग छवि बना पाए है बिहार में तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी और विकास जैसे आम आदमी के मुद्दों को लाइमलाइट में ला दिया है।उन्होंने देश में आने वाले चुनावों का एजेंडा सेट कर दिया है
लोहिया और जेपी का बिहार अकसर देश को नया नेतृत्व,नई दिशा और नई सोच देता रहा है आज बिहार ने तेजस्वी के रूप में एक ऐसा ही प्रगतिशील नेता देश को दिया है उन्हें जन्मदिन की बहुत बधाई आयुष्मान भव: यशस्वी भव: तेजस्वी भव:
अपूर्व भारद्वाज