बिहार में चुनाव का अंतिम दौर चल रहा है । सभी प्रत्याशी एड़ी-चोटी का जोर लगाकर अपनी अपनी जीत का दम भर रहे हैं । कुछ अपने आकाओं के दम पर तो कुछ पार्टी के बल । ऐसे भी कैंडिडेट है जो हथियार के बल पर वोट का दंभ रहे हैं । लेकिन इन सबसे अलग कुछ कैंडिडैट ऐसे भी है जो चुनाव में अपने दम पर खड़े हैं और बड़े-बड़े नेताओं को पसीने छुड़ा रहे हैं । जी हाँ हम बात कर रहे हैं – सहरसा विधानसभा 75 से निर्दलीय प्रत्याशी ‘किशोर कुमार मुन्ना‘ की । बीजेपी के सीट बंटवारे से नाराज किशोर कुमार मुन्ना ने प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपनी चिंता जताई थी, पार्टी से नाराज पूर्व विधायक ने आलाकमान से साफ पूछा कि एक विशुद्ध राजनीतिक आदमी अगर राजनीति छोड़ देगा तो क्या करेगा । बदले में आलाकमान ने जवाब तो नहीं दिया लेकिन पार्टी से निष्कसित कर दिया ।
किशोर कुमार मुन्ना ने जनता की अदालत में गएं और जनता की बात सुनी । और जनता के निर्देश पर ही निर्दलीय लड़ने का फैसला लिया । अपने मृदुभाषी स्वभाव और श्रमशीलता के बल पर आज सहरसा में एक ऐसा चेहरा बन गए हैं जो अच्छे–अच्छे पार्टी के नेताओं को पानी पिला दें । सोशल मीडिया से लेकर आम जन तक प्रचार का एक ही चेहरा है ‘किशोर कुमार मुन्ना‘ ।
किशोर कुमार मुन्ना को जनता का साथ मिला । पार्टी के अराजक फैसले के खिलाफ मुन्ना ने जो बिगुल फुंका उसकी आवाज आम जन-मानस के कानों तक गई और लोगों ने मुन्ना के फैसलों को सरहाना शुरू कर दिया । आम युवाओं के बीच वो पहले से ही प्रसिद्ध थे अपने मृदुभाषी स्वभाव के कारण बुजुर्गो में भी काफी लोकप्रिय रहे हैं। जन नेता तो वो थे ही अपने विशुद्ध समाजसेवी रवैये के कारण जन-जन में प्रसिद्ध हो गए ।
बात 2005 की है । सोनवर्षा विधानसभा में राजद के कद्दावर नेता और बिहार सरकार के तत्कालीन पर्यटन मंत्री अशोक कुमार राजद के सिंबल से लड़ रहे थे । पर्यटन मंत्री रहते हुए अशोक कुमार सिंह ने सोनवर्षा के सौन्दर्यीकरण के लिये जो बन पाया था किया लेकिन जनता के दिल में किशोर कुमार मुन्ना वाली छवि नहीं बना पाए । फलत: 2005 के चुनाव में किशोर कुमार मुन्ना 50000 मतों से विजयी हो गएं । जनता ने एक निर्दलीय कैंडिडेट को सर आंखो पर लिया और भारी बहुमत से सदन में भेजने का काम किया । जबकि अशोक सिंह तीन बार से इस क्षेत्र के विधायक रह चुके थे । इतना ही नहीं सरकार अल्पमत की रही छ: महिने में ही गिर गई लेकिन जनता ने दुबारा से अपने चहेते उम्मीदवार को ही चुना और किशोर कुमार दुबारा से विधायक बने ।
आज एक बार फिर किशोर कुमार मुन्ना सहरसा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं । जनता उन्हे सर आँखों पर बिठा रही है । रैली में जिस तरह से भीड़ उमड़ रही है वो देखकर बड़े-बड़े कद्दावर नेताओं के हलक को सूखा रही है । अगर यह भीड़ वोट में तब्दील होती है तो सहरसा एक बार फिर सोनवर्षा के इतिहास को दुहराकर एक निर्दलीय को सदन में भेजने का काम करेगी ।