बिहार में पहले चरण के चुनाव के लिए प्रचार आज शाम खत्म हो गया है। इस चरण में 71 सीटों पर 28 अक्टूबर को मतदान होना है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी सबसे बड़े नेता हैं, जिनकी किस्मत का फैसला जनता करेगी। वे इस बार इमामगंज से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार वे इमामगंज और मखदुमपुर से लड़े थे और मखदुमपुर से चुनाव हार गए थे। एक बार फिर इमामगंज के लोग मांझी को जीत की माला पहनाते हैं कि नहीं, यह बड़ा फैसला होना है। बिहार सरकार के कई मंत्रियों के राजनीतिक कैरियर का फैसला भी जनता को करना है। बिहार सरकार में जदयू कोटे से ग्रामीण कार्य मंत्री रहे शैलेश कुमार, जमालपुर विधान सभा से चुनाव जीतते हैं। भाजपा कोटे से राजस्व व भूमि सुधार मंत्री रहे रामनारायण मंडल बांका से चुनाव लड़ रहे हैं। जदयू कोटे से शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने पिछली बार घोसी से जीत हासिल की थी। इस बार वे जहानाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं।
भाजपा कोटे से खान व भूतत्व मंत्री ब्रज किशोर बिंद चैनपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। लखीसराय से श्रम मंत्री विजय कुमार सिन्हा चुनाव लड़ रहे हैं। जदयू कोटे से परिवहन मंत्री रहे संतोष कुमार निराला राजपुर से विधायक रहे हैं और भाजपा कोटे से बिहार सरकार के कृषि व पशु मछली संसाधन मंत्री प्रेम कुमार गया टाउन से विधायक रहे हैं। जदयू से ही उद्योग, विज्ञान व तकनीकी मंत्री जय कुमार सिंह दिनारा से चुनाव जीतते हैं। वहां भी पहले चरण में चुनाव है। कभी जदयू के विधायक रहे अनंत सिंह पिछली बार निर्दलीय लड़े थे और जीते थे। इस बार वे राजद के टिकट पर मोकामा से एक बार फिर किस्मत आजमाएंगे। राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी शाहपुर से विधायक रहे हैं। उनकी किस्मत का फैसला भी पहले चरण में ही होना है। पहले चरण की 71 सीटों में 25 पर राजद का जबकि 23 पर जदयू और 13 पर भाजपा का कब्जा है। इन 71 सीटों में से 22 पर यादव विधायकों का कब्जा रहा था, जबकि राजपूत-7 भूमिहार-7 और कुशवाहा-7 सीटों पर चुने गए थे। बिहार चुनाव में जाति का असर खूब दिखता रहा है। इस बार क्या हाल रहेगा यह भी जनता तय करेगी।