बिहार चुनाव के आगाज के साथ ही प्रदेश में दो चीजें जो देखने को मिल रही है उनमें से पहले नंबर पर है – दल-बदल और दुसरे नंबर पर है प्रेशर पॉलिटिक्स । दल बदल तो आप समझ ही गए होगें । मलाईदार सीट की तलाश में दुसरे पार्टी में जाना । वो भी अपने पुराने और विश्वासी दल को छोड़कर ।
दुसरा जो आजलक चिराग पासवान कर रहे हैं । यानी प्रेशर पॉलिटिक्स । चिराग पासवान बीजेपी के बी टीम की तरह काम कर रही है जो हमेशा नीतीश को नीचा दिखाने में लगी है । मकसद साफ है नीतीश को कमजोर कर या तो सीट कम करवाना या फिर नीतीश की जो सिटिंग सीट है उनपर उनको कमजोर करना है ।
चिराग पासवान जिस तरह से हमलावर हो रहे हैं वो कहीं न कही साफ उन्हे बीजेपी का मोहरा बना रही है । और ऐसा ही चलता रहा तो जो सीटें कम होगी वो निश्चित रूप से जदयू की ही होगी । जदयु इस बार भी अपने सीटींग एमएलए का टिकट नहीं काटने जा रही है, ऐसे में उनके विधायकों को एंटी इन्कम्बेसी मिलेगा ही । जिसका सीधा-सीधा फायदा लोजपा के द्वारा बीजेपी को होगा ।
इधर तेजस्वी यादव से अलग हुए रालोसपा के उपेन्द्र कुशवाहा ने भरे मंच से कह ही दिया है कि बीजेपी से तेजस्वी यादव की सेटिंग है । और यह साफ-साफ दिख भी रहा है । तेजस्वी यादव पिछले 6 महिने से तेजस्वी यादव पिछले 6 महिने से नीतीश पर आक्रामक हैं तो वहीं जदयू के साथ नरम पड़े हुए है । यह कुशवाहा के बयान की मजबूती को दिखाता है ।
अगर ऐसा ही चलता रहा और बिहार में बीजेपी अलग चुनाव लड़ लेती है तो यहाँ उनकी जीत पक्की नजर आती है । नीतीश का कद पिछले 5 सालों में छोटा हुआ है और यह वो भी मान रहे हैं । यही वजह है कि पिछले कुछ महिनों में नीतीश जनता के पास आने से कतरा रहे हैं । अब देखना ये हैं कि चुनाव से पहले उंट किस करवट बैठता है ।