प्रसव पीड़ा शुरू हाेने के बाद रविवार की रात मड़ैया थाना क्षेत्र के देवरी निवासी चंडिका सिंह ने पत्नी किरण देवी को लेकर प्रसव के लिए परबत्ता पीएचसी आ रहे थे तभी मड़ैया पेट्रोल पंप के पास न्यू महिला क्लीनिक के एक बिचौलिए ने उन्हें बहकाकर निजी क्लीनिक लेकर चला गया। क्लीनिक पहुंचने से पहले ही महिला ने रास्ते में ही एक बच्चे को जन्म दिया।
क्लीनिक पहुंचने पर दूसरे बच्चे को जन्म दिया। डॉक्टर ने प्रसव शुल्क के रूप में 7 हजार रुपए की मांग की। मगर बेहद गरीब परिवार होने के कारण रुपए देने में असमर्थता जताई। तब क्लीनिक संचालन करने वाली डॉक्टर एन बानो ने एक नवजात की कीमत 10 हजार तय करते हुए महिला को तीन हजार देकर उससे कागज पर अंगूठा लगवा लिया और नवजात को अपने साथ बेगूसराय लेकर चली गई।
वहीं मामले में अगले दिन महिला के पति और अन्य परिजन जब मड़ैया थाने पहुंचकर महिला डॉक्टर के कारनामे की शिकायत करते हुए आवेदन दिया तो थानाध्यक्ष रत्नेश कुमार रत्न ने आवेदन लेने से इंकार दिया। थानाध्यक्ष ने उल्टे पीड़ित पर ही केस दर्ज करने की धमकी दी। मामला जब आम लाेगाें तक फैलने लगा तब नवजात को धोखे से खरीदने वाली महिला डाॅक्टर ने सोमवार की देर शाम को माता-पिता को बच्च सौंप दिया।
उधर, मामले में मड़ैया थानाध्यक्ष ने कहा कि महिला डॉक्टर के द्वारा नवजात को ले जाने की जानकारी तो है लेकिन पीड़ित के द्वारा मुझे कोई आवेदन नहीं दिया गया। अनपढ़ मां को कुछ पता ही नहीं था कि उससे अनजाने में जिस कागज पर अंगूठे का निशान लगवाया गया था, वही उसे हमेशा के लिए अपने बच्चे से दूर कराने के दस्तावेज है। मामले की जानकारी लोगों को कानोकान होने लगी, जिसके बाद दबाव में आकर डाॅक्टर ने बच्चे काे वापस मां को सौंप दिया। बच्चे को पाकर मां खुश है।
महिला डॉक्टर एन बानो से जब भास्कर संवाददाता ने संपर्क किया तो पहले उन्होंने नवजात की दयनीय स्थिति का हवाला देते हुए इलाज के लिए अपने साथ ले जाने की बात कही। जब पीड़ित द्वारा शिकायत की बात बताई गई तो महिला डॉक्टर ने अपने कबूलनामे में कहा कि ये बात सही है कि हमने 10 हजार में नवजात का सौदा किया था। इसके पीछे का मकसद नवजात को बचाना था। महिला डॉक्टर के अनुसार प्रसव के लिए आई महिला प्रसव चार्ज देने में सक्षम नहीं थी, जिसके कारण मैंने उसे खाने-पीने के लिए 3 हजार रुपए दिए तथा प्रसूता की सहमति पर बच्चे को अपने साथ ले गई। उन्होंने कहा कि नवजात को किसी जरूरतमंद लोगों को देती तो उस गरीब परिवार को और भी रुपए मिल जाता, मगर बिचौलिए के कारण बात बढ़ गई तो मैंने नवजात को वापस कर दिया। सूत्रों ने बताया कि यह क्लीनिक फर्जी तरीके से संचालित हो रहा है। जहां इस तरह का काम आम है।
पीड़ित परिजनों के अनुसार क्लीनिक की डाॅक्टर एन बानो ने प्रसूता को यह कहकर अपने जाल फंसा लिया कि तुम दो बच्चाें का सही ढंग से पालन-पोषण नहीं कर पाओगी। इसलिए एक बच्चा मुझे दे दो। वहीं जब सुबह पांच बजे महिला के पति लौटे तो पत्नी ने सारी आपबीती बताई। बताया जाता है कि उसके पति के पहुंचने से पूर्व ही प्रसूता महिला से सादे कागज पर अंगूठे का निशान लगवाकर कर डॉक्टर नवजात को अपने साथ ले गई। ग्रामीणों ने क्लीनिक पर जाकर हो- हंगामा भी किया, मगर पुलिस मामले में चुप बैठी रही।
क्लीनिक अवैध है तो थानाध्यक्ष करें उसके खिलाफ कार्रवाई
मामले में परबत्ता पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर पटवर्धन झा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बच्चा ठगी का मामला मुझे नहीं मालूम है। मामले में थानाध्यक्ष ही कुछ बता पाएंगे। यदि क्लीनिक अवैध रूप से संचालित है तो उसके विरुद्ध भी थानाध्यक्ष को ही कार्रवाई करना चाहिए। मैं इस मामले में कुछ नहीं कर सकता हूं। ज्ञात हो कि इसी मकान में पहले भी गैरकानूनी तरीके से फर्जी क्लीनिक का संचालन हो रहा था।