सिमरी बख्तियारपुर सीट का गणित कुछ अलग ही दिख रहा है. यहां पर कभी JDU का बोलबाला था लेकिन 2019 में हुए उपचुनाव के दौरान आरजेडी ने जीत का परचम लहराया. आरजेडी के जफर आलम ने जीत दर्ज की थी. इस सीट की खास बात एक और है कि इसी सीट से असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में एंट्री की थी. गौरतलब है कि सिमरी बख्तियारपुर सीट जेडीयू के दिनेश चंद्र यादव के सांसद बन जाने के बाद यहां पर उपचुनाव हुए थे. इस दौरान जेडीयू के खिलाफ महागठबंधन से आरजेडी और एक अन्य घटक दल विकासशील इंसान पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था.
आरजेडी के लिए बड़ी चुनौती
अब उपचुनावों में जीत का परचम लहरा इस सीट पर वापसी कर चुकी आरजेडी के सामने बड़ी चुनौती है इसे बरकरार रखना. वहीं अपनी जीती हुई सीट उपचुनाव में खो चुकी जेडीयू इस सीट को वापस लेने के लिए पूरा जोर लगाने की तैयारी में है. जातिगत गणित से लेकर विकास तक के सभी मुद्दों को भुनाने के लिए दोनों ही पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. बड़ी मुश्किल यहां पर निर्दलीय उम्मीदवार खड़ी कर सकते हैं.
तीन लाख मतदाता
बात की जाए यहां पर वोटरों की संख्या की तो करीब तीन लाख वोटर यहां पर उम्मीदवार के भाग्य का फैसला करेंगे. इनमें से करीब 52 प्रतिशत पुरुष और 47 प्रतिशत महिला मतदाता है. हालांकि 2015 के चुनावों के दौरान मतदान का प्रतिशत करीब करीब 50 प्रतिशत रहा था जिसके चलते उम्मीदवारों को यहां निराश जरूर होना पड़ा था. हालांकि अब शुरू से ही राजनीतिक पार्टियां इस कवायद में लगी हैं कि बड़ी संख्या में वोटरों को लुभाया जाए.