मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलौनों की चर्चा करने पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तंज कसा है. राहुल गांधी ने कहा कि JEE-NEET के उम्मीदवार चाहते थे कि पीएम परीक्षा पर चर्चा करें, लेकिन वह खिलौनों पर चर्चा करके चले गए. राहुल गांधी ने रविवार को ट्वीट किया, ‘JEE-NEET के उम्मीदवार पीएम से ‘परीक्षा पर चर्चा’ चर्चा चाहते थे, लेकिन पीएम ने ‘खिलौने पर चर्चा’ की. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम को लेकर ऐसे समय घेरा है, जब कोरोना संकट के बीच JEE-NEET की परीक्षा कराये जाने का विरोध किया जा रहा है. बता दें कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भी कोरोना संकट के दौरान NEET-JEE परीक्षाओं के आयोजन पर विरोध जता चुकी हैं. कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को परीक्षाओं को टालने के लिए देशभर में प्रदर्शन किया. सोनिया गांधी का कहना था कि छात्रों, मुझे आपके लिए दुख होता है क्योंकि आप सबसे मुश्किल वक्त से गुजर रहे हैं. आपकी परीक्षाओं को कब लिया जाना चाहिए ये सिर्फ आपके लिए ही नहीं बल्कि आपके परिवार के लिए भी काफी जरूरी फैसला है. आप हमारा भविष्य हैं, हम आप पर निर्भर करते हैं. ऐसे में अगर आपके भविष्य से जुड़ा कोई भी फैसला होना चाहिए तो आपसे पूछकर होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को आपसे (छात्रों) बात करके ही परीक्षाओं को लेकर कोई भी फैसला करना चाहिए. ऐसे में मैं सरकार से अपील करती हूं कि वो आपसे तुरंत बात करें.
असल में, प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में रविवार को खिलौनों को पर बात कही. पीएम ने कहा, ‘मैं मन की बात सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा मांगता हूं क्योंकि हो सकता है, उन्हें अब ये मन की बात कार्यक्रम सुनने के बाद खिलौनों की नई-नई मांग सुनने को मिले. खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं तो वहीं खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं. खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं.’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है. कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं. भारत के कुछ क्षेत्र टॉय क्लस्टर यानी खिलौनों के केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि वैश्विक स्तर पर खिलौने का कारोबार साल लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की है. यह कारोबार इतना बड़ा है, लेकिन भारत की हिस्सेदारी उसमें बहुत कम है. जिस राष्ट्र के पास इतनी बड़ी विरासत हो, परंपरा हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी चाहिए. लोकल खिलौनों के लिए हमें वोकल बनना होगा.’