फिलवक्त बिहार का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय मैदान मोइनुल हक स्टेडियम दुर्दशा का शिकार है। मैदान में उगी बड़ी-बड़ी घास, टूटी-फूटी दर्शक गैलरी और पवेलियन इसके बेहाल हाल को बयां कर रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि इसके जीर्णोद्धार के लिए प्रयास नहीं हुए। इसे नया रूप रंग देने के लिए जो रूपरेखा तैयार की गई उसे फाइनल करने में ही तीन साल लग गए। कौड़ी अब भी दूर है, क्योंकि इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को मुख्यमंत्री से हरी झंडी दिखाए जाने का इंतजार है। डीपीआर में स्टेडियम को तोड़कर उसे नए सिरे से बनाने का प्रस्ताव है। साथ ही हॉकी के लिए एस्ट्रोटर्फ बिछाने, फुटबॉल मैदान का निर्माण और एथलेटिक्स का अत्याधुनिक सेंटर खोलने की बात है। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अनुसार, स्टेडियम परिसर में 340 करोड़ की लागत से मल्टी स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स बनेगा, जहां क्रिकेट के अलावा अन्य खेल भी होंगे। खिलाड़ी जिम और स्वीमिंग पूल का मजा ले सकेंगे। दर्शकों के लिए अंडर ग्राउंड पॉर्किंग की व्यवस्था होगी। संबंधित परामर्शी ने संशोधित डीपीआर खेल मंत्री को सौंप दिया है। मुख्यमंत्री के समक्ष उसका प्रेजेंटेशन होगा और इसके बाद काम शुरू होने के आसार हैं। राजगीर में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भी बन रहा है।
बीएमपी या वेटेनरी कॉलेज के पास राष्ट्रीय खेल हॉकी के लिए एस्ट्रोटर्फ बिछाने का प्रस्ताव पूर्व खिलाड़ी और कोच योगेश कुमार ने दिया हैं। इसके लिए राशि केंद्र सरकार देगी। राज्य सरकार को केवल जमीन मुहैया करानी है। एस्ट्रोटर्फ बिछने के बाद नेशनल की मेजबानी मिलेगी। फुटबॉल के लिए बिहार के लोग 70 के दशक में गांधी मैदान पर आश्रित थे। आज भी इसी मैदान के सहारे हैं। पुलिस लाइन, पटना कॉलेज और बीएमपी में नो इंट्री के बाद बिहार फुटबॉल संघ ने पटना कॉलेजिएट और ऊर्जा स्टेडियम के पास मैदान बनाने का प्रस्ताव दिया है। संघ के सचिव इम्तियाज हुसैन ने कहा कि संजय गांधी स्टेडियम को तोड़कर नया स्वरूप दिया जाएगा। पिछले साल खेल दिवस पर सभी प्रमंडल में एथलेटिक्स सेंटर खोलने की घोषणा हुई थी। लेकिन इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है।