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पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की आज जयंती है. उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था. राजीव गांधी राजनीति में नहीं आना चाहते थे, लेकिन हालात ऐसे बने कि वो राजनीति में आए और देश के सबसे युवा पीएम के रूप में उनका नाम दर्ज हो गया. प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने 21वीं सदी के आधुनिक भारत के निर्माण की नींव रखी थी, जिसका फायदा आज भी देश के लोग उठा रह हैं.
पंचायतों को किया सशक्त
राजीव गांधी ने ‘पावर टू द पीपल’ आइडिया को देश की पंचायती राज व्यवस्था को लागू करवाने की दिशा में कदम बढ़ाकर देश के लोकतंत्र को सशक्त बनाने का काम किया था. 1989 में एक प्रस्ताव पास कराकर पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिलाने की दिशा में कोशिश की थी. राजीव गांधी का मानना था कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था सबल नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता. उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार कराया.
राजीव गांधी की सोच को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ. राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64 वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73 वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया. 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई. जिससे सभी राज्यों को पंचायतों के चुनाव कराने को मजबूर होना पड़ा. पंचायतीराज व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण रहा.
वोट देने की उम्र सीमा घटाई
पहले देश में वोट देने की उम्र सीमा 21 वर्ष थी, लेकिन राजीव गांधी की नजर में यह उम्र सीमा गलत थी. उन्होंने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार तथा सशक्त बनाने की पहल की. 1989 में संविधान के 61 वें संशोधन के जरिए वोट देने की उम्रसीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई. इस प्रकार अब 18 वर्ष के करोड़ों युवा भी अपना सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते थे.
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ग्रामीण बच्चों के लिए नवोदय विद्यालय
ग्रामीण बच्चों को मुफ्त आधुनिक शिक्षा देने के मकसद से प्रसिद्ध नवोदय विद्यालयों के शुभारंभ का श्रेय भी राजीव गांधी को जाता है. मौजूदा समय देश में खुले 551 नवोदय विद्यालयों में 1.80 लाख से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. गांवों के बच्चों को भी उत्कृष्ट शिक्षा मिले, इस सोच के साथ राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली थी. ये आवासीय विद्यालय होते हैं. प्रवेश परीक्षा में सफल मेधावी बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश मिलता है. बच्चों को छह से 12 वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है. राजीव गांधी ने शिक्षा क्षेत्र में भी क्रांतिकारी उपाय किए. उनकी सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NPE) की घोषणा की. इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ.
सप्ताह में पांच दिन काम
राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहते हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए 1989 में 5 दिन काम का प्रावधान भी लागू किया. इसके पीछे उनका मकसद लोगों को आराम देकर सरकारी छुट्टियां कम करने का था. राजीव गांधी ने दफ्तर बंद होने का समय पांच बजे के बजाय शाम छह बजे कराया ताकि ज्यादा से ज्यादा काम हो सके और इसके बदले उन्होंने कर्मचारियों को सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार का अवकाश किया. राजीव गांधी ने यह आवधारणा पश्चिमी देशों से लिया था, जिसका फायदा आज भी सरकारी कर्मचारी उठा रहे हैं.
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आधुनिक शिक्षा नीति
राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद देश की व्यवस्था में काफी बदलाव लाने का काम किया था. राजीव सरकार ने शिक्षा मंत्रालय को मानव संसाधन विकास मंत्रालय में तब्दील किया था और पीवी नरसिम्हा राव को इस मंत्रालय की कमान सौंप दी गई. इसके अगले वर्ष 1986 में देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई थी. इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में देश में शिक्षा के विकास के लिए व्यापक ढांचा पेश किया गया था. शिक्षा के आधुनिकीकरण और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने पर जोर रहा था. पिछड़े वर्गों, दिव्यांग और अल्पसंख्यक बच्चों की शिक्षा पर अधिक जोर दिया गया था. 14 वर्ष की आयु के बच्चों की शिक्षा को अनिवार्य किया गया था और महिलाओं के बीच अशिक्षा की दर को कम करने के लिए अधिक जोर दिया गया था. व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए थे.