बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. जहां एक तरफ नेता दल बदल कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दलों में सीट शेयरिंग को लेकर भी रस्साकशी देखने को मिल रही है. इसका सबसे ताजा उदाहरण है जेडीयू (JDU) और लोजपा (LJP) के रिश्तों में आई दरार. चुनाव नजदीक आने के साथ ही यह बढ़ रही है. दरअसल, इस विवाद की मुख्य वजह 2015 का चुनाव बताया जा रहा है, जब लोजपा को सबसे अधिक नुकसान जेडीयू से हुआ था. माना जा रहा है कि 2015 में मिली हार का बदला लेने के लिए ही चिराग पासवान के निशाने पर इस बार विरोधी से ज्यादा अपने ही सीएम यानी नीतीश कुमार हैं.
JDU और LJP के बीच झगड़े की असल वजह बिहार विधानसभा के उन सीटों को बताया जा रहा है जिस पर 2015 के चुनाव परिणाम में लोजपा महज चंद वोटों से हार गई थी. आसान शब्दों में समझें तो 2015 विधानसभा चुनाव में एलजीपी ने NDA के तरफ से 42 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा था, 42 में 23 सीटें ऐसी हैं, जिन पर लोजपा और जदयू के बीच आमने-सामने की लड़ाई थी. हालांकि, चुनाव परिणाम एनडीए के अनुकूल नहीं आया और लोक जनशक्ति पार्टी को महज 2 सीटों पर ही कामयाबी मिल पाई थी.
जेडीयू एलजेपी के बीच क्लोज फाइट की सीटें
JDU और LJP के बीच कई सीटों पर तो जीत का अंतर 10 हजार वोटों से कम रहा था. यही कारण है कि इस बार चुनाव को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी ज्यादा सीटों की मांग कर रही है और साथ-साथ उन सीटों पर अपना दावा ठोक रही है जहां पर वो दस से पंद्रह हजार वोटों से पिछड़ गई थी. 2015 के चुनाव परिणाम के अनुसार लोजपा और जेडीयू के बीच जिन सीटों को लेकर के पेच फंस सकता है उनमें कुचायकोट, बेलसंड, नाथनगर, ठाकुरगंज, रफीगंज जैसी विधानसभा सीटें है. इन विधानसभा सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी और जेडीयू के बीच में जीत और हार का फासला 10,000 वोट से भी कम का था.
इन सीटों पर जीत हार का फासला था कम
कुचायकोट विधानसभा से JDU के अमरेन्द्र पांडे ने LJP के काली पांडे को महज 3 हजार 562 मतों के अंतर से हराया था. बेलसंड विधानसभा से LJP के मोहम्मद नसीर अहमद को JDU की सुनीता चौहान से सिर्फ 5 हजार 575 वोटों से हराया था. नाथनगर विधानसभा से JDU के अजय मंडल ने LJP के अमरनाथ प्रसाद को 7 हजार 825 वोट के अंतर से हराया था. ठाकुरगंज विधानसभा से JDU के नौशाद आलम ने LJP के गोपाल अग्रवाल को 8 हजार 087 वोट के अंतर हराया था. रफीगंज विधानसभा से JDU के अशोक सिंह ने LJP के प्रमोद सिंह को 9 हजार 525 वोट के अंतर से हराया था.
निगाहें बीजेपी की डैमेज कंट्रोल पॉलिसी पर
इन 5 सीटों के अलावा कई ऐसे और सीटें हैं जिन पर जेडीयू-लोजपा के बीच में जीत-हार का फासला महज पंद्रह हजार से भी कम का रहा है, यही कारण है कि लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान जनता दल यूनाइटेड से सीट शेयरिंग के मसले पर किसी तरीके का समझौता करने के मूड में नहीं है. हालांकि, अब देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय जनता पार्टी अपने दोनों ही सहयोगी दलों के बीच फंसे इस सीट शेयरिंग के पेंच को कैसे सुलझाती है.