मद्रास हाईकोर्ट ने लाला रामदेव की पतंजलि को ‘कोरोनिल’ शब्द का इस्तेमाल न करने का आदेश दिया है ओर ‘कोरोनिल’ ब्रांड का इस्तेमाल किए जाने पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है दरअसल चेन्नै की कंपनी Ardura इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड ने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि उसने कोरोनिल 92-B नाम से ट्रेडमार्क 2027 तक के लिए रजिस्टर्ड करा रखा है। कंपनी ने जून 1993 में यह ट्रेडमार्क लिया था। इस पर मद्रास हाईकोर्ट ने चेन्नै स्थित कंपनी के पक्ष में आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि पतंजलि को अपने उत्पाद बेचने से पहले ट्रेडमार्क्स रजिस्ट्री में जाकर देखना चाहिए कि यह ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड है या नहीं।
क्या है मामला
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, साल 1993 में ‘ कोरोनिल-213 एसपीएल’ और ‘कोरोनिल -92बी’ का रजिस्ट्रेशन कराया था. वह तब से उसका रिन्युअल करा रही है. यह कंपनी हैवी मशीन और निरूद्ध इकाइयों को साफ करने के लिए कैमिल और सेनेटाइजर बनाती है. कंपनी का कहना है कि उसके पास इस ट्रेडमार्क के लिए 2027 तक हमारा अधिकार वैध है. कंपनी ने यह भी कहा है कि उसके ग्राहक BHEL और इंडियल ऑयल जैसी कंपनिया हैं. अपने दावे को सिद्ध करने के लिए याचिकाकर्ता ने कोर्ट में पांच साल का बिल भी पेश किया है.
पहले भी हो चुका हैं विवादकोरोनिल दवा लॉन्च होने के बाद से लगातार चर्चा में है. क्योंकि आयुष मंत्रालय ने पहले इस पर रोक लगा दी थी. लेकिन फिर इस पर रोक हटा दी गई. आयुष मंत्रालय ने यह कहते हुए इन दवाओं को क्लीन चिट दे दी है कि मनुष्य के शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बूस्टर के रूप में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.