5 लड़ाकू विमानों के भारत में स्वागत के बीच एक बार फिर इस पर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल मिलने पर इंडियन एयरफोर्स को बधाई देते हुए सरकार से दोबारा कई सवाल पूछे हैं। हालांकि, 2019 के चुनाव से पहले राहुल गांधी ने इन्हीं सवालों को बार-बार दोहराते हुए राफेल डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था, लेकिन इस पर पीएम मोदी का ‘मैं भी चौकीदार” नारा भारी पड़ा था।राहुल गांधी ने बुधवार को ट्वीट किया, ”राफेल के लिए इंडियन एयरफोर्स को बधाई। इस बीच क्या भारत सरकार जवाब दे सकती है?
(1) क्यों एक विमान की कीमत 526 करोड़ की बजाय 1670 करोड़ रुपए है।
(2) क्यों 126 की जगह 36 एयरक्राफ्ट ही खरीदे गए?
(3) एचएएल की बजाय दिवालिए अनिल को 30 हजार करोड़ रुपए का ठेका क्यों दिया गया?
इससे पहले कांग्रेस ने भी राफेल लड़ाकू विमानों के पहले जत्थे के भारत आने का स्वागत किया और साथ ही यह भी कहा कि हर देशभक्त को यह पूछना चाहिए कि 526 करोड़ रुपये का विमान 1670 करोड़ रुपये में क्यों खरीदा गया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ”राफेल का भारत में स्वागत ! वायुसेना के जाबांज लड़ाकों को बधाई। उन्होंने कहा, ”आज हर देशभक्त यह ज़रूर पूछे कि 526 करोड़ रुपये का एक राफेल अब 1670 करोड़ रुपये में क्यों? 126 राफेल की बजाय 36 राफेल ही क्यों ? मेक इन इंडिया के बजाय मेक इन फ्रांस क्यों? 5 साल की देरी क्यों?
भारतीय वायु सेना के लिए ऐतिहासिक क्षणों के बीच बुधवार को राफेल लड़ाकू विमानों का पहला जत्था भारत पहुंच गया। फ्रांस से खरीदे गए ये राफेल लड़ाकू विमान अंबाला एयरबेस पर उतरे। पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले राफेल डील कर बीजेपी और कांग्रेस में जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था। सत्तारूढ़ भाजपा ने जहां इस सौदे को राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने वाला बताया था तो वहीं कांग्रेस ने इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। हालांकि सौदे को उच्चतम न्यायालय की ओर से क्लीन चिट दिये जाने के बाद इसकी खरीद में अवरोध समाप्त हो गया था।
अंबाला वायु सेना केंद्र में बुधवार को लड़ाकू विमानों के पहुंचने पर भाजपा के कई नेता उत्साहित दिखे लेकिन राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की लंबी लड़ाई के बाद यह दिन आया है। सौदे के आलोचकों ने इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी और वहां हार गए ए। उच्चतम न्यायालय ने 59 हजार करोड़ रुपये में 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं को दिसंबर 2018 में खारिज कर दिया और कहा था कि उसे इसमें कुछ गलत नजर नहीं आया। हालांकि इसके बाद भी राजनीतिक दोषारोपण का दौर जारी रहा।