पृथ्वी पर संभवत: ये बहुत वर्षो के बाद हुआ है कि 30 दिनों के अंदर दुसरा चन्द्रग्रहण लगा हो । साथ ही साथ बीच में एक सुर्यग्रहण भी लगा हो । यह पुरी घटना खगोलिय दृष्टीकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है । हालांकि ये एक उपछाया चंद्रग्रहण है लेकिन फिर भी ग्रहो पर इसका असर पड़ेगा ही । लेकिन भारत के लोग इस ग्रहण को नहीं देख पाएंगे। हालांकि जिन लोगों की ग्रहण में दिलचस्पी है वो इसका नजारा ऑनलाइन देख सकते हैं।
ग्रहण का समय और सूतक काल: ये ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा जिस वजह से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। धार्मिक मान्यताओं अनुसार सूतक काल ग्रहण लगने से पहले की वो अवधि होती है जिसमें किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते।
ग्रहण की शुरुआत 5 जुलाई की सुबह 08:38 AM से होगी। इसका परमग्रास 09:59 AM पर होगा और इसकी समाप्ति 11:21 AM पर। ग्रहण की कुल अवधि 02 घण्टे 43 मिनट की होगी। अगला चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा।
चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण में अंतर: चन्द्रग्रहण उस घटना को कहते हैं जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में धरती आ जाती है जिससे चंद्रमा आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। इससे चांद बिंब काला पड़ जाता है।
आपको बता दें कि ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं और अंग्रेजी में इसको (Penumbra) कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब ही वास्तविक ग्रहण होता है।
लेकिन कई बार चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करके बिना भूभा में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल जाता है। इस स्थिति में चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं । इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण।
कैसे देखें चंद्र ग्रहण: चंद्र ग्रहण को खुली आंखों से देखना सुरक्षित माना गया है। लेकिन भारत में ये चंद्र ग्रहण नहीं दिखने की वजह से आप इसे ऑनलाइन विभिन्न यूट्यूब चैनलों के माध्यम से लाइव देख सकते हैं। Slooh और Virtual Telescope चैनल इस घटना की लाइवस्ट्रीम करने के लिए जाने जाते हैं।