बात झारखंड की है । वहां के शिक्षा मंत्री हैं जगरनाथ महतो । उन्होने कल अपने एक बयान में कहा कि सरकारी नौकरी उन्हे ही मिलनी चाहिये जो सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं । हालांकि मंत्री जी ने बड़ी बात कह दी । इरादा साफ था कि इससे सरकारी स्कूल के प्रति लोगों की धारणा बदलेगी और लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाएंगे । लेकिन मंत्री जी के इस बयान ने राज्य में एक अलग ही तरीके का बवाल मचा दिया है । हालांकि, उनके बयान के बाद बढ़े बवाल पर उन्होंने सफाई दी और इसे अपना निजी विचार बताया.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि अभी वे इस मसले पर सबकी राय ले रहे हैं. शिक्षा मंत्री इससे पहले भी सरकार की किरकिरी करा चुके हैं. तब उन्होंने कहा था लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों से फीस माफ करवाएंगे, लेकिन करा नहीं पाए. दबाव बढ़ा तो उन्होंने पलटी मारते हुए कहा कि मैंने तो निजी स्कूलों से फीस माफ करने का सिर्फ आग्रह किया था.
सरकारी स्कूल के छात्रों को सरकारी नौकरी के सवाल पर हालांकि शिक्षा मंत्री ने बाद में कहा कि यह उनकी कोई घोषणा या सरकारी आदेश नहीं है. यह उनका अपना विचार है और इसे झारखंड में लागू कराना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वे अभी इसपर सभी से विचार ले रहे हैं. इससे मीडिया और प्रबुद्ध वर्गों से भी विचार लिया जाएगा. सभी की सहमति से ही उचित निर्णय लिया जाएगा. बकौल मंत्री, फिलहाल उनकी इस सोच का उन्हें पूरा समर्थन मिल रहा है और अभी तक किसी ने भी इसे गलत नहीं ठहराया है.
शिक्षा मंत्री ने यह सवाल भी उठाया कि कोई विद्यार्थी निजी स्कूल में पढ़ेगा और नौकरी सरकारी क्षेत्र में करना चाहेगा तो यह कहां तक उचित है ? शिक्षक, नेता, मंत्री जो भी हो वह सरकारी नौकरी या सेवा करना चाहता है तो उसे सरकारी स्कूलों में ही पढ़कर आना चाहिए. गुणवत्ता के सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से सरकारी स्कूलों को ही इस स्तर तक तक बनाया जाए जिससे वहां निजी स्कूलों से भी बेहतर पढ़ाई हो. उन्होंने यह भी कहा कि निजी स्कूलों में पढऩेवाले विद्यार्थी डॉक्टर, इंजीनियर आदि बनें. सरकारी नौकरी निजी स्कूलों में पढऩेवाले बच्चों को छोड़ दें.