मेरे प्रिय युवा कवियो,
मैं कहता हूं कि सबकुछ पढ़िए। प्लेटो से लेकर ओर्तेगा ई गार्सेत तक, होरास और होल्डरलिन, रोनसार और पास्कल, दोस्तोयेव्स्की और तोल्स्तोय, ऑस्कर मीवोश और चेस्वाव मीवोश, कीट्स और विटगेन्स्टीन, इमर्सन और एमिली डिकिन्सन, टीएस एलियट और उम्बेर्तो साबा, अपोलिनायर और वर्जीनिया वुल्फ, आना आख्मातोवा और दान्ते, पास्तरनाक और मचादो, मोन्टैन और सेंट आगस्टीन, प्रूस्त और हॉफमान्स्थाल, सैफो और शिंबोर्स्का, टॉमस मान और एस्खुलस— जीवनियों से लेकर निबंध तक पढ़िए, टिप्पणियों से लेकर राजनीतिक विश्लेषण तक पढ़िए।
अपने लिए पढ़िए, अपनी प्रेरणाओं के लिए पढ़िए, जो एक मीठी-सी खलबली आपके दिमाग में चलती रहती है, उसके लिए पढ़िए ।
लेकिन साथ ही, अपने खिलाफ पढ़िए, सवाल पूछने के लिए पढ़िए, लाचारी के लिए पढ़िए, निराशा के लिए पढ़िए, विद्वत्ता के लिए पढ़िए, चोरान और कार्ल श्मिट जैसे सनकी दार्शनिकों के रूखे और कड़वे वचन पढ़िए, अखबार पढ़िए।
जो लोग कविता से नफरत करते हैं, उसे खारिज करते हैं, उसका उपहास करते हैं या उपेक्षा, उन सबको पढ़िए और जानने की कोशिश कीजिए कि वे ऐसा क्यों करते हैं।
अपने दुश्मनों को पढ़िए। अपने दोस्तों को पढ़िए। उन लोगों को पढ़िए, जिन्हें पढक़र आपको यह समझ में आए कि कविता में क्या नया हो रहा है। और उन लोगों को भी पढ़िए, जिनका अंधेरा या जिनकी बुराई या जिनका पागलपन या जिनकी महानता अभी तक आपकी समझ में नहीं आ पाई है।
पढ़िए, क्योंकि सिर्फ यही एक तरीका है, जिससे आपका विकास होगा। इसी से आप अपने दायरे से बाहर निकलेंगे। और इसी से आप वह बन पाएंगे, जो कि आप अंदर से हैं।
– एडम ज़गायेव्स्की, ‘युवा कवियो, सब कुछ पढ़ियो’ निबंध का यह अंश एक बार फिर से पोस्ट. अनुवाद : Geet Chaturvedi