भारत और विश्व में कुपोषण एक बड़ी समस्या है। इसके शिकार बच्चे जिंदगी की दौड़ में पीछे रह जाते हैं। उनका मानसिक और शारीरिक विकास नहीं हो पाता। इस वजह से उनके अंदर बहुत सी बीमारियां हो जाती हैं। 2017 के आंकड़ों के हिसाब से विश्व भर में 11% लोग कुपोषण के शिकार हैं। जब हमारे शरीर में पौष्टिक आहार (पोषक तत्व) की कमी हो जाती है जैसे कि विटामिन, प्रोटीन, आयोडीन, लोहा, फास्फोरस, कैलशियम, कार्बोहाइड्रेट, खनिज जैसे तत्वों की कमी पाई जाती है। तब हमारा शरीर और कमजोर हो जाता है और कई तरह की बीमारियां हमारे शरीर में अंदर ही अंदर घर बना लेती हैं और हमें समझ में नहीं आता है इन्हीं सब कमियों की अवस्था को कुपोषण कहा जाता है ।
भारत में अभी भी लगभग 39% बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। इसके अनेक कारण है। माता-पिता का गरीब होना, लड़का लड़की में भेदभाव करना, जल्दी उम्र में मां बनना, स्तनपान का अभाव, भोजन की कमी, गंदा पर्यावरण जैसी अनेक समस्याएं कुपोषण को बढ़ावा देती हैं। कुपोषण एक ऐसी बीमारी की तरह फैलता जा रहा है जो अंदर ही अंदर पूरे देश को खोखला कर रहा है इंसान तो है मगर विश्वास नहीं है, अनाज तो खा रहे हैं मगर उनमें प्रोटीन नहीं है अगर हम अभी चल रहे कोरोना वायरस पूरे देश में मच गई है जिसके कारण हमारे देश में लोग डाउन करना पड़ा और फिर से हमारे सामने कुपोषण की एक बड़ी समस्या गया गई लॉक डाउन में काफी बड़े तादाद में लोगों को कई रातें और कई दिन भूखे रहकर गुजारने पड़े उसमें सबसे ज्यादा परेशानी अगर उठानी परी तो वह बहुत है मजदूर व उनका परिवार वैसे भी भारत में कुपोषण का एक बहुत बड़ा कारण इंसान की गरीबी भी है, गरीबी के कारण कई लोग प्रोटीन या विटामिन से भरा खाना क्या ढंग से कितने दिनों तक खाना खा भी नहीं पाते हैं गरीबों के समक्ष भोजन की कमी तो अक्सर रहती है ।
अभी लॉक डाउन में कितने प्रवासियों बड़ी समस्या उठाते हुए अपना जीवन यापन चलाया है और इन्हीं सब कारणों की वजह से अभी देश में कुपोषण जैसी बढ़ती बीमारियों का इलाज नहीं हो पा रहा है जिसके कारण बच्चे, युवा अथवा बुजुर्ग सभी में इसके लक्षण पाए जाते हैं । संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 5 साल से कम उम्र के 10 लाख से भी ज्यादा बच्चे कुपोषण की वजह से मर जाते हैं। दक्षिण एशिया में भारत ऐसा देश है जिसकी कुपोषण में रैंकिंग सबसे खराब है। राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कुपोषण अधिक पाया गया है।संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यहां पर हालत चिंताजनक है। एसीएफ इंडिया की रिपोर्ट “भारत में अनुसूचित जनजाति (28%), अनुसूचित जाति (21%), पिछड़ी जाति (20%) और ग्रामीण समुदाय (21%) पर अत्यधिक कुपोषण का बहुत बड़ा बोझ है।”