बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार से बाहर से आये मजदूरों को दस हजार रुपये नकद भुगतान करने की मांग कि है. साथ ही उन्होंने मजदूरों को रोजगार देने के लिए बने रोडमैप को सार्वजनिक करने के लिए भी कहा. उन्होंने कहा कि रोजगार के लिए हर जिले में कैम्प लगाये. विशेष सत्र बुलाकर खर्च को रिवाज कर रोजगार और इलाज पर खर्च बढ़ाये.
तो वहीं उन्होंने पुलिस मुख्यालय से जारी उस पत्र पर कड़ी आपत्ति जताई जिसमें कहा गया है ‘प्रवासी मजदूर परेशानी में हैं. कुछ गलत कर सकते हैं. इससे विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होगी. लिहाजा पुलिस इसकी तैयारी पूरी कर ले.’
पार्टी कार्यालय में शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि सरकार मजदूरों को चोर- उचक्का समझती है. पत्रकारों ने कहा कि मुख्यालय के इस पत्र को वापस कर दूसरा पत्र जारी किया है, तो नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इससे मानसिकता नहीं बदल जाती है. यह पत्र सरकार की मानसिकता को दर्शता है. उन्होंने उस पत्र की प्रति को वहीं पर फाड़ डाला. साथ ही सभी मजदूरों और गरीबों से अपील की कि सात जून को थाली बजाकर इसका विरोध करें.
तेजस्वी ने कहा कि मजदूर सौ दिन से बेरोजगार हैं और आगे सौ दिन उन्हें काम मिलने की संभावना नहीं है. लिहाजा सरकार जल्द उन्हें दस हजार रुपये दे. इपर मात्र चार हजार करोड़ रुपये ही खर्च होंगे. महागठबंधन की सरकार थी तो 65 लाख बेरोजगारों को भत्ता दिया जाता था लेकिन डबल इंजन की सरकार आते ही उसे बंद कर दिया गया. सरकार बताये कि 15 साल में कितने उद्योग बंद हुए और कितने नये खुले. मुख्यमंत्री कहते हैं कि हम चुनौतियों को अवसर में बदलते हैं तो उसका अब समय आ गया है. पहली बार अधिसंख्य स्कील्ड लेबर आये हैं. सबको रोजगार देकर इसे अवसर में बदलें. प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह भी उपस्थित थे.