Nidhi
वैसे तो जब हम अपने देश की बात करते हैं तो उसे कई लोग “ इंडिया ” से संबोधित करते हैं तो कई लोग “ भारत” से संबोधित करते हैं अब बात यह है कि कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दर्ज हुई है जिसमें हमारे देश के नाम को लेकर सुनवाई की जाएगी। इस याचिका पर शुक्रवार को ही सुनवाई होनी थी लेकिन चीफ जस्टिस के उपलब्ध न हो पाने की वजह से इसे 2 जून किया गया।
याचिका में कहा गया है कि, ‘अंग्रेजी नाम का हटना भले ही प्रतीकात्मक होगा लेकिन यह हमारी राष्ट्रीयता, खास तौर से भावी पीढ़ी में गर्व का बोध भरने वाला होगा। अनुच्छेद 1 कहता है कि भारत अर्थात इंडिया राज्यों का संघ होगा। याचिका में कहा गया है कि इसकी जगह संशोधन करके इंडिया शब्द हटा दिया जाए और भारत या हिन्दुस्तान कर दिया जाए। दरअसल,याचिकाकर्ता का कहना है कि इंडिया शब्द से गुलामी झलकती है और यह भारत की गुलामी का निशान है। और इंडिया शब्द की जगह भारत किया जाना हमारे पूर्वजों द्वारा स्वतंत्रता संघर्ष में की गई कठिन भागीदारी को न्यायसंगत ठहराएगा। साल 1948 में संविधान के तत्कालीन मसौदे के अनुच्छेद 1 पर संविधान सभा में हुई बहस का उल्लेख करते हुए याचिका में कहा गया है कि उस वक्त भी देश का नाम भारत या ‘हिंदुस्तान’ करने के पक्ष में मजबूत लहर थी।
उधर बीजेपी की कद्दावर नेता उमा भारती ने भी देश का नाम भारत रखने का स्वागत किया है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि जब एक व्यक्ति के दो नाम नहीं हो सकते तो एक देश का नाम दो कैसे हो सकता है। उन्होंने अपने बयान के समर्थन में कहा कि किसी का नाम सूर्य प्रकाश तो इसका मतलब उसे Sunlight तो नहीं पुकार सकतें।
कहते हैं कि महाराज भरत ने भारत का संपूर्ण विस्तार किया था और उनके नाम पर ही इस देश का नाम भारत पड़ा। मध्य युग में तब तुर्क और ईरानी यहां आए तो उन्होंने सिंधु घाटी से प्रवेश किया। वो स का उच्चारण ह करते थे और इस सिंधु का अपभ्रंश हिंदू हो गया। हिंदुओं के देश को हिंदुस्तान का नाम मिला। देखते हैं आज की सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर क्या सुनवाई होती है ।